Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 17
________________ वस्तुपालसम्बन्धी २ प्राचीन ऐतिहासिक प्रशस्तिओ - सं. मुनि सुयशचन्द्रविजय गणि मुनि सुजसचन्द्रविजय प्रशस्तिकाव्यो ए संस्कृतसाहित्यनो घणो रोचक काव्यप्रकार छ । घj करीने अलङ्कारिक शैलीमां रचाती आ कृतिओमां इतिहासप्रसिद्ध व्यक्तिना जीवननो अने कार्योनो परिचय होय छे । तेथी आ प्रशस्तिकाव्यो इतिहासना संयोजनमा बहुमूल्य फाळो आपे छे । मुख्यतया प्रशस्तिकाव्यो २ स्वरूप प्राप्त थाय छे (१) चैत्यप्रशस्तिस्वरूपे तथा (२) ग्रन्थप्रशस्तिस्वरूपे । तेमां चैत्यनो, वसतिनो के तेना खण्डस्वरूप मण्डप, बलानक, शिखर, गर्भगृह के देवकुलिका ना नवनिर्माण के पुनरुद्धार करावनार व्यक्तिना जीवन अने कार्य उपर प्रकाश करनार कृति ते चैत्यप्रशस्ति । आ प्रकारनी प्रशस्तिओ ते गुणवान पुरुषना (दाताना) गुणथी आकर्षित थनार कोई गुरुभगवन्त के विद्वान कवि द्वारा रचवामां आवती हती । त्यारबाद शिलाखण्ड उपर कोतरवामां आवती हती । शत्रुञ्जय गिरिराज उपर रामपोळ पासे लागेल २ शिलालेखो, आबुतीर्थ-लुणिगवसहिनी हस्तिशाळामां लागेल शिलालेख, ओवा शिलालेखो आ प्रकारमा समाविष्ट थाय छ। ते ज रीते ग्रन्थलेखनना कार्यमा अर्थसहयोग आपनार अर्थात् ग्रन्थ लखावनार गृहस्थना जीवन अने सुकृतोनो परिचय आपनार काव्य ते ग्रन्थप्रशस्ति । ग्रन्थनी आदिमां के अन्तमां कागळ उपर के ताडपत्र उपर आ प्रशस्तिओ लखवामां के कोतरवामां आवती हती । प्राचीन ताडपत्रीय ग्रन्थोमां तेमज हस्तप्रतोमां आवी प्रशस्तिओ लखायेली जोवा मळे छ । उपरोक्त बन्ने प्रकारनी प्रशस्तिओमां प्रतिष्ठापक गृहस्थ के ग्रन्थ लखावनार गृहस्थना जीवन अने कार्योनी साथे तेमनी वंशपरम्परानो, तेमनां कार्योनो पण परिचय आपवामां आवतो हतो । वधुमां चैत्यप्रशस्तिओमां चैत्यादिनिर्माणसमये विद्यमान शासकनो, ते शासकना वंशनो, प्रतिष्ठाकारक पूज्य आचार्यादिनो, तेमनी गुरुपरम्परानो अने चैत्यनिर्माणना वर्षनो पण उल्लेख करवामां आवतो हतो । ग्रन्थप्रशस्तिओ अने चैत्यप्रशस्तिओ संस्कृतभाषाबद्ध गद्य-पद्यमय रहेती । अने ग्रन्थप्रशस्ति करतां चैत्यप्रशस्ति प्रमाणमां वधु मोटी रहेती हती । ___ अहीं रजू करेल बन्ने प्रशस्तिओ चैत्यप्रशस्तिरूपे प्राप्त थई छे । तेमां (१)

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