Book Title: Anusandhan 2017 07 SrNo 72
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 20
________________ जून - २०१७ १३ ... पछीनां ३ पद्योमा (श्लो. १०४ थी १०६) कविए तेजपालना अने श्लो. १०७ थी ११३मां वस्तुपालना गुणोनुं वर्णन कर्यु छ । तेमां स्तम्भतीर्थनी रक्षा माटे सिन्धुराजना पुत्र शङ्खराजा साथे थयेल युद्धमां वस्तुपालना शौर्यगुणनो पण परिचय आप्यो छे । श्लो. ११४ थी १२६मां (मात्र) वस्तुपालनां केटलांक सुकृतोनी नोंध आपी छे । जेमके (१) गामे-गामना सङ्घोने भेगा करी शत्रुञ्जय अने रैवतगिरि (गिरनार)नी तीर्थयात्रा करी । __(२) धोळकामां हिमालय जेवू उजळु श्रीआदिनाथप्रभुनुं जिनालय बनाव्युं । (३) स्थम्भनका खंभात)ना शक्रपुर(शकरपुर)मां श्रीपार्श्वप्रभुना जिनालयनो जीर्णोद्धार को अने तेना पर स्वर्णकलशो स्थापित कर्या । (४) अणहिल्लपुर-(पाटण)मां श्रीपंचासरापार्श्वप्रभुना जिनालयनो जीर्णोद्धार कर्यो । (५) स्थम्भनकपुर(थामणा)मां नगर फरतो कोट बनावडाव्यो । (६) अनेक पौषधवाळाओ करावी अने साते क्षेत्रमा धन वापर्यु । (७) अर्कपालीयक(अंकेवाळीया) गामां विशाळ सरोवर निर्माण कराव्युं । (८) शत्रुञ्जय उपर इन्द्रमण्डप बनावडाव्यो । अने शत्रुञ्जय उपर श्रीनेमिनाथ तथा श्रीपार्श्वनाथ प्रभुना २ देरासरो कराव्यां । आ बन्ने हकीकतोनी नोंध उदयप्रभसूरिजीकृत 'सुकृतकीर्तिकल्लोलिनी' (श्लो. १६५-१६७) तथा जयसिंहसूरिजी कृत 'वस्तुपाल-तेजःपाल-प्रशस्तिः' (श्लो. ६१)मां पण नोंधायेली जोवा मळे छे । श्लो. १२९-१३०-१३१मां कविए इन्द्रमण्डपनी प्रतिष्ठा करावनार, वस्तुपालना कुलगुरु (गुरु भ.)नी परम्पराना श्रीशान्तिसूरिजी अने श्रीअमरसूरिजीने याद कर्या छे, ते ध्यानार्ह बाबत छे । अन्ते श्लो. १३२ थी १३८ना पद्योमा कविए पोतानी गुरुपरम्परानी स्तवना करी छे । अने पोताना नामोल्लेखपूर्वक प्रशस्तिना चिरंजीविपणानी

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