Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1374
________________ पण्हावागरणं सु. 1 अ. 1 1361 हयगयखरकर मखग्गवाणरगवयविगसियालकोलमज्जारकोलसुण ( का ) कसिरि. यंदलगावत्तकोकंतिय-गोकण्णमियमहिस-वियग्घ छ गलदीविय साण-तरच्छअच्छ. भल्लसददुल-सीहचिल्लल-चउप्पयविहाणाकए य एवमाई, अयगरगोणसवराहि. मउलिकाउदरदमपुप्फआसालियमहोरगोरगविहाणककए य एवमाई, छीरल. सरंबसेह-सेल्लग-गोधंदर-ण उलसरड-जाहग-मगुसखाडहिल-वाउप्पइय-घरोलिय. सिरीसिवगणे य एवमाई, कादंबक-बक-बलाकासारसडासेतीयकुललवंजल. पारिप्पवकीवसउणदीवियहसधत्तरिट्टगभासकुलीकोसकुचदगतुंडढेणियालगसूई. महकविलपिंगलक्ख गकारंडगचक्कवागउक्कोसगरुलपिगलसुयबरहिणमयणसालगंदीमहणंदमाणग कोरंग-भिगारग-कोणालग-जीवंजीवग तित्तिर-वट्टकलावक. कपिजलककवोतगपारेवगचिडिर्गादककुक्कुडवेसरमयूरगचउरगहयपोंडरीयसा. लग (करकरग) वीरल्लसेणवायसविहंगमेणासि चासवग्गलिचम्मट्रिलविततपक्खिखहयरविहाणाकए य एवमाई, जलथलखगचारिणो उ पंचिदिए पसुगणे बियतियचरिदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बहुसंकिलिट्टकम्मा। इमेहि विविहेहि कारणेहि, कि ते ? चम्मवसामसमेय. रोणियजगफिफ्फिसमत्थ (लि) लंगहिययंतपित्तफोफसदंतट्टा अट्टिमिजणहणयणकण्णण्हारुणिणक्कधमणिसिंगदाढिपिच्छविसविसाणवालहेडं, हिंसति य भमर. मधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेइंदिए सरीरोवकरणट्टयाए किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहरपरिमंडणट्ठा, अण्णेहि य एवमाइएहि बहूहि कारणसएहि अबहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिदिए बहवे वराए तसे य अण्णे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति अत्ताणे असरणे अणाहे अबंधवे कम्मणिगलबद्ध अकुसल. परिणाममंदबुद्धिजणदुग्विजाणए पुढविमए पुढविसंसिए जलमए जलगए अण. लाणिलतणवणस्सतिगणिस्सिए य तम्मयतज्जिए चेव तदाहारे तप्परिणतवण्णगंध रसफासबोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खसे य तसकाइए असंखे थावरकाए य सुहुम-बायर-पत्तेयसरीर-णाम-साधारणे अगते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहि विवेहेहि कारणेहि, कि ते ? करिसणपोक्खरणीवाविवप्पिणिकूवसरतलागचितिवेतियखातियआरामविहारथूभपागारदारगोउरअट्रालगचरियासेतुसंकमपासायविकप्पभवणघरसरणलेणआवणचेतियदेवकुलचित्तसभापवाआयतणावसहममिघरमंडवाण य कए भायणभंडोवगरणस्स विविहस्स

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