Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1423
________________ 1410 अंग-पविट्ट सुत्ताणि देवाणुप्पिए ! मम धम्मायरिए समणे भगवं महावीरे जाव जओ णं अहं जाणामि, जावं च णं मियादेवी भगवया गोयमेण सद्धि एयगळं संलवह तावं च मियापुत्तस्स दारगस्स भत्तवेला जाया यादि होत्था / तए सा मिया. देवी भगवं गोयमं एवं वयासी-तुभ भंते ! इहं चेव चिह जा गं अहं तुभं मियापुत्तं दारगं उवदंसेमित्तिकटु जेणेव भत्तपाणघरए तेणेव उवागच्छद 2 ता वत्थपरियट्टयं करेइ 2 त्ता कदूसगडियं गिहारत्ता बिउल स्स असणपाणखाइ मसाइ मस्स भरेइ 2 ता तं कटुसगडियं अणुकडमाणी 2 जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ 2 ता भगवं गोयम एवं क्यासीएह णं तुब्भे भंते ! ममं अणुगच्छह जा णं अहं तुभं मियापुत्तं दारगं उबदंसेमि। तए णं से भगवं गोयमे मियादेवि पिटुओ समणगच्छइ / तए णं सा मियादेवी तं कट्ठसगऽियं अणुकड्डमाणी 2 जेणेव भूमिघरे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता चउडेणं वयेणं मुहं बंधमाणी भगवं गोयम एवं वयासी-तुमे वि णं भंते ! महपोतियाए महं बंधह तए णं से भगवं गोयमे मियादेवीए एवं वृत्ते समाणे महपोत्तियाए मुहं बंधेह / तए णं सा मियादेवी परंमुही भूमिघरस्स दुवारं विहाडेइ, तए णं गंधे णिग्गच्छइ से जहाणामए अहिमडेइ वा (सप्पकडेवरे इ वा)जाव तओ वि य णं अणि?तराए चेव जात गंधे पण्णत्ते / तए णं से लिया. पुत्ते दारए तस्स विउलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स गंधेणं अभिलए समाणे तसि विउलंसि असणपाणखाइमसाइमंसि मुच्छिए. तं विउल असणं 4 आसएणं आहारेइ 2 ता खिप्पामेव विद्धं से इ 2 ता तओ पच्छा पूयत्ताए य सोपियत्ताए य परिणामेइ तंपिय णं पूयं च सोणियं च आहारेइ / तए णं भगवओ गोयम. स्स तं मियापुत्तं दारगं पासित्ता अयमेयारूबे अज्झथिए 5 समुप्पज्जित्थाअहो गं इमे दारए पुरापोराणाणं दुच्चिणाणं दुप्पडिक्कंताणं असुमाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणु भवमाणे विहरइ ण मे दिट्ठा जरगा वा रइया वा पच्चक्खं खलु अयं पुरिसे परगपडिदियं वेयणं वेएइत्तिक भियं देवि आपुच्छइ 2 त्ता मियाए देवीए गिहाओ पडिणिस्खमइ 2 त्ता मियग्गामं यरं मज्झंमज्झेष जिग्गच्छइ 2 ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागध्छइ 2 ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिणापया. हिणं करेइ 2 ता वंदइ णमंसइ वं० 2 ता एवं बयासी-एवं खलु

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