Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1442
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 4 1429 णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! पुरिमतालस्स णयरस्स दुवाराई पिहे. अमग्गसेणं चोरसेणावई जीवगाहं गिण्हह 2 ममं उवणेह / तए णं ते कोडुंबियपुरिसा कर. यल जाव पडिसुर्णेति 2 ता पुरिमतालस्स गयरस्स दुवाराई पिहेंति अभग्गसेणं चोरसैणावई जीवगाहं गिण्हंति 2 महाबलस्स रण्णो उवर्णेति / तए णं से महाबले राया अभग्गसेणं चोरसेणावई एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ / एवं खल गोयमा ! अमग्गसेणे चोरसेणावई पुरापोराणाणं जाव विहरइ / अमग्गसेणे गं भंते ! चोरसेणावई कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ ? कहि उव. वज्जिहिइ ? गोयमा ! अभग्गसेणे चोरसेणावई सत्तत्तीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिमागावसेसे दिवसे सूलमिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमोसे रयणप्पमाए उक्कोस...णेरइएसु उववज्जिहिइ, से गं तओ अणंतरं उम्वट्टित्ता....."एवं संसारो जहा पढमे जाव पुढवीए, तओ उवट्टित्ता वाणारसीए णयरीए सूयरत्ताए पच्चायाहिइ / से गं तत्थ सोयरिएहिं जीवियाओ ववरोविए समाणे तत्थेव. वाणारसीए णयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ / से गं तत्थ उम्मक्कबालभावे...."एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिइ // णिक्खेवो // 16 // तइयं अज्झयणं समत्तं // ___ सगडे णामं चउत्थं अज्झयणं __-जह गं भंते ! .."चउत्थस्स उखेवो, एवं खल जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं साहंजणी णाम णयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा। तीसे गं साहंजणीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीमाए देवरमणे णामं उज्जाणे होत्था। तत्थणं अमोहस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था पुराणे। तत्थ णं साहंजणीए णयरीए महचंदे णामं राया होत्था महया० / तस्स गं महवस्स रण्णो सुसेणे गामं अमच्चे होत्था साममेयदंडाणिग्गहकुसले। तत्थ णं साहंजणीए णयरीए सुदरिसणा-णामं गणिया होत्था वण्णओ / तत्थ णं साहंजणीए णयरीए सुभद्दे णामं सत्थवाहे हो० परिवसइ अड्ढे / तस्स णं सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दा णामं मारिया होत्था अहीण। तस्स णं सुमद्दसत्थवाहस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए सगडे णामं दारए होत्था अहीण। तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं महावीरे...... समोसरणं परिसा राया ____य णिग्गए धम्मो कहिओ परिसा रा. पडिगया / तेणं कालेणं तेगं समएणं

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