Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1449
________________ 1436 अंग-पविट्ट सुत्ताणि य पुंजा गिरा चिट्ठति / तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुंजा णिगरा चिट्ठति / तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे पच्छा (सत्था)ण य पिप्पलाण य कुहाडाण य णहच्छेयणाण य दमतिणाण य पुंजा गिरा चिठ्ठति / तए णं से दुज्जोहणे चारगपालए सोहरहस्स रणो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठि भए य रायावयारी य अण. धारए य बालघायए य विसंभघाए य जयगरे य संडपट्टे य पुरिसेहि गिहावेइ 2 ता उत्ताणए पाडेइ 2 लोहदंडेणं महं विहाडेइ 2 अप्पेगइए तत्ततंबं पज्जेइ अप्पेगइए तउयं पज्जेइ अप्पेगइए सीसगं पज्जेइ अप्पेगइए कलकलं पज्जेइ अप्पेगइए खारतेल्लं पज्जेइ अप्पेगइयाणं तेणं चेव अभिसेयगं करेइ / अप्पेगइए उत्ताणए पाडेइ 2 आसमुत्तं पज्जेइ अप्पेगइए हथिमत्तं पज्जेइ जाव एलमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए हेट्ठामुहे पाडेइ, छडछडस्स वम्मावेइ, 2 अप्पेगइयाणं तेणे चेव ओवीलं दलयइ, अप्पेगइए हत्थ-दुयाई बंधावेइ अप्पेगइए पायं. दुए बंधावेइ, अप्पेगइए हडिबंधणं करेइ अप्पेगइए णियडबंधणं करेइ अप्पेगइए संकलबंधणं करेड, अप्पेगइए संकोडियमोडियए करेइ अप्पेगइए हत्थच्छिण्णए करेइ जाव सत्थोवाडिए करेइ, अप्पेगइए वेणुलाहि य जाव वायरासीहि य हणावेइ, अप्पेगइए उत्ताणए कारवेइ 2 उरे सिलं दलावेइ० तओ लउडं छुहा. वेइ 2 त्ता पुरिसेहिं उक्कंपावेइ, अप्पेगइए तंतीहि य जाव सुत्तरज्जहि य हत्थेसु य पाएसु य बंधावेइ अगडंसि उच्चलयालगं पज्जेइ, अप्पेगइए असिपत्तेहि य जाव कलंबचीरपत्तेहि य पच्छावेइ 2 खारतेल्लेणं अब्भंगावेइ / अप्पे० णिलाडेसु य अवसु य कोप्परेसु य जाणूसु य खलुएसु य लोहकोलए य कडसक्काराओ य दवावेइ अलिए भंजावेइ / अप्पेगइए सूईओ य डंभणाणि य हत्थंगुलियासु य पायंगुलियासु य कोट्टिल्लएहि आउडावेइ 2 ता भूमि कंडूयावेइ / अप्पेगइए सत्थेहि य जाव णहच्छेयणेहि य अंगं पच्छावेइ दब्भेहि य कुसेहि य ओल्लबद्धेहि य वेढावेइ 2 आयवंसि दलयइ 2 सुक्के समाणे चड. चडस्स उप्पाडेइ / लए णं से दुज्जोहणे चारगपालए एयकम्मे 4 सुबहुं पावकम्म समज्जिणित्ता एगतीसं वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमठिइएसु णेरइत्ताए उववण्णे // 25 // से णं तओ अणंतरं उबट्टित्ता इहेव महुराए णयरीए सिरिदामस्स रण्णो बंधु

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