Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1459
________________ अंग-पविट्ठ सुत्ताणि अण्णया कयाइ सामापामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकण्णगसयाणं एगदिवसे पाणि गिहाविसु पंचसयओ दाओ / तए णं से सोहसेगे कुनारे सामापामोवखाहि पंचसयाहिं देवीहिं सद्धि उपि जाब विहरइ / तए णं से महासेणे राया अग्णया कयाइ कालधम्मणा संजते णीहरणं....राया जाए महया० / तए णं से सीहसेणे राया सामाए देवीए मच्छिए 4 अवसे साओ देवीओ जो आढाइ णो परिजाणाइ अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे विहरइ / तए णं तासि एगणगाणं पंच ण्हं देवीसयाणं एगणाई पंचमाईसयाई इमीसे कहाए लट्ठाई समाणाई एवं खलु सामी सीहसेणे राया सामाए देवीए मच्छिए 4 अम्हं धूयाओं णो आढाइ णो परिजाणइ अणाढायमाणे अपरिजाप्रमाणे विहर इ, तं सेयं खलु अम्हं सामं देबि अग्गिपओगेण वा विसप्पओगेण वा सत्थप्पओगेण वा जीवियाओ ववरोवित्तए, एवं संपेहेंति 2 सामाए देवीए अंतराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणीओ 2 विहरति / तए णं सा सामा देवी इमीसे कहाए लद्धद्वा समाणी एवं वयासी-एवं ख० मम पंचण्हं सवत्तीसयाणं पंचमाइसयाई इमीमे कहाए लद्धट्ठाई समाणाई अण्णमण्णं एवं वयासी-एवं खलु सीहसेणे.....जाव पडिजागरमाणीओ विहरंति, तं ण णज्जइ णं मम केणइ कुमारेणं मारिस्सतित्तिकटु भीया जाव जेणेव कोवघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता ओहय जाव झियाइ। तए णं से सीहसेणे राया इमीसे कहाए लद्धछे समाणे जेणेव कोवघरए जेणेव सामा देवी तेणेव उवागच्छइ 2 ता सामं देवि ओह० जाव पासइ 2 त्ता एवं वयासी-कि णं तुमं देवाणु प्पिए ! ओह. जाव झियासि ? तए सा सामा देवी सीहसेजेणं रण्णा एवं बुत्ता समाणी उप्फेणउप्फेणियं सीहसेणं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! मम एगणगाणं पंचसवत्तीसयाणं एगणपंचमाइसयाणं इमीसे कहाए लढाणं समाणा० अण्णमण्णे सदाति 2 ता एवं वयासी-एवं खलु सीहसेणे राया सामाए देवीए उरि मच्छिए 4 अम्हं धूयाओ णो आढाइ....जाव अंतराणि य छिद्दाणि० पडिजागरमाणीओ विहरंति तं ण णज्जइ० भीया जाव झियामि / तए णं से सीहसेणे राया सामं देवि एवं वयासी-मा गं तुमं देवाणुप्पिए ! ओह० जाव झियाहि, अहं गं तहा जत्ति. हामि जहा णं तव णस्थि कत्तोवि सरीरस्स आबाहे वा पबाहे वा भविस्सइत्ति. कटु ताहि इटाहिं 6 समासासेइ 2 तओ पडिणिक्खमइ 2 त्ता कोडुंबिय.

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