Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 9 1445 जाहे जो संचाएंति सोरिय० मच्छकंटगं गलाओ णीहरित्तए ताहे संता जाव जामेव दिसि पाउन्भया तामेव दिसि पडिगया। तए णं से सोरिय०म० विज्ज. पडियारणिविण्णे तेणं दुक्खेणं महया अभिभए सुक्के जाव विहरइ / एवं खल गोयमा ! सोरियदत्ते पुरापोराणाणं जाव विहरइ / सोरिए गं भंते ! मच्छंधे इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! सत्तरि-वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पमाए पुढवीए०, संसारो तहे. पुढ० हस्थिणाउरे णयरे मच्छत्ताए उवव०, से गं तो मच्छिएहिं जीवियाओ ववरोविए तत्थेव सेट्टिकुलंसि.....बो० सोहम्मे कप्पे.....महाविदेहे वासे सिज्झिहि० ॥णिक्खेवो // 28 // // अट्ठमं अज्झयणं समत्तं / / देवदत्ता णामं णवमं अज्झयणं जइ गं मंते ! ....उक्लेवो णवमस्स० एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रोहीडए णामं गयरे होत्था रिद्ध० / पुढविडिसए उज्जाणे, धरणो जक्खो, वेसमणदत्त रायां, सिरी देवी, पूसणंदी कुमारे जवराया। तत्थ गं रोहीडए णयरे दत्ते णाम गाहावई परिवसह अडढे. कण्हसिरी भारिया। तस्स गं दत्तस्स धूया कण्हसिरीए अत्तया देवदत्ता णामं दारिया होत्था अहीण जाव उक्किट्ठा उक्किटुसरीरा। तेणं कालेगं तेगं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा०, तेणं कालेणं तेणं समए० जेठे अंतेवासी छट्ठक्ख मण.....तहेब जाव रायमग्गमोगाढे हत्थी आसे पुरिसे पासइ, तेसिं पुरिसाणं मज्झगयं पासइ एगं इत्थियं अवओडयबंधणं उक्खित्तकण्णणासं जाव सूले भिज्जमाणं पासइ, 2 इमे अज्झथिए....तहेव णिग्गए जाव एवं वयासी-एस गं भंते ! इत्थिया पुस्वभवे का आसी? एवं खल गोयमा ! तेणं कालेणं तेणे समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे सुपइठे णामं णयरे होत्था रिद्ध०, महासेणे राया। तस्स गं महासेणस्स रणोधारिणीपामोक्खाणं देवीसहस्सं ओरोहे यावि होत्था। तस्स णं महासेण. * स्स रण्णो पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए सीहसेणे णामं कुमारे होत्था अहीण. जवराया। तए गं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स अम्मापियरो अण्णया कयाइ पंच पासायडिसयसयाई करेंति अब्भुग्गय० / तए णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स
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