Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1468
________________ विवागसुयं सु. 2 अ. 1 1455 य णं आगासंसि अहो दाणमहो दाणं घ० हत्थिणाउरे सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवं आइक्ख इ ४-धणे णं देवाणुप्पि० ! सुमुहे गाहाव० जाव तं धण्णे णं देवाणप्पिया ! सुमुहे गाहाव० / तए णं से सुमहे गाहावई बहूई वाससयाई आउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव हथिसीसे गयरे अदीणसत्तुस्स रण्णो धारिणीए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे / तए णं सा धारिणी देवी सयणिज्जसि सुत्तजाग० ओहीरमाणी 2 तहेव सीहं पासइ सेसं तं चेव जाव उप्पि पासा. विहरइ। तं एवं खलु गोयमा ! सुबाहुणा इमा एयारूवा माणुस्सरिद्धी लद्धा पत्ता अभिसमग्णागया। पभू णं भंते ! सुबाहु. कुमारे देवाणप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पन्वइत्तए ? हंता पभू।तए णं से भगवं गोयमे समणं भगवं० वंदइ णमंसइ वं० 2 ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहर इ। तए णं से समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ हत्थिसीसाओ गयराओ पुप्फकरंडयउज्जाणाओ कयवणमालपिय जक्खाययणाओ पडिणिक्खमई 2 ता बहिया जणवयविहारं विहरइ / तए णं से सुबाहु कुमारे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरइ / तए गं से सुबाहुकुमारे अण्णया कयाइ चाउद्दसटुमुद्दिद्वपुण्णमासिणीसु जेणेव पोसह. साला तेणेव उवांगच्छइ 2 ता पोसहसालं पमज्जइ 2 ता उच्चारपासवणमि पडिलेहेइ 2 ता दम्भसंथारं संथरइ 2 ता दब्भसंथारं दुरुहइ 2 ता अट्ठम. भत्तं पगिण्हइ 2 ता पोसहसालाए पोसहिए अट्ठमभत्तिए पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ / तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए ५-धण्णा गं ते गामागर-णगर जाव संणिवेसा जत्थ गं समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ, धण्णा गं ते राईसरतलवर० जे णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडा जाव पम्वयंति, धण्णा णं ते राईसरतलवर. जे णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणक्वइयं जाव गिहिधम्म पडिवजंति, धण्णा गं ते राईसर जाव जे गं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सुर्णेति, तं जइ णं समणे भगवं महावीरे पुज्वाणुपुचि चरमाणे गामाणगामं दूइज्जमाणे इहमागच्छिज्जा जाव विहरिज्जा तए गं अहं समणस्स भगवओ अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पवएज्जा। तए गं समणे भगवं महावीरे सुबाहुस्स कुमारस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव

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