Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ 1444 अंग-पविट्ट सुत्ताणि जोवण होत्था / तए णं से समुदत्ते अण्णया कयाइ कालधम्मणा संजुत्ते / तए णं से सोरियदत्ते दा. बहहि मित्तणाइ० रोयमा० समदत्तस्स णीहरणं करेइ लोइयाई मयकिच्चाई करेइ, अण्णया कयाइ सयमेव मच्छंधमहत्तरगतं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ / तए णं से सोरियदत्ते दारए मच्छंधे जाए अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे / तए णं तस्स सोरियदत्तमच्छंधस्स बहवे पुरिसा दिण्ण भइ० एगट्ठियाहिं ज उणामहाणइं ओगाहेंति 2 बहूहिं दहगलणेहि य दहमलणेहि य दहमद्दणेहि य दहमहणेहि य दहबहणेहि य दहपवहणेहि य मच्छंधलेहि य पयंचुलेहि य पंचपुलेहि य जंमाहि य तिसराहि य भिसराहि य घिस राहि य विसराहि य हिल्लिरीहि य लल्लिरीहि य झिल्लिरीहि य जालेहि य गलेहि य कडपासेहि य वक्कबंधेहि य सुत्तबंधेहि य वालबंधेहि य बहवे सहमच्छे य जाव पडागाइपडागे य गिण्हंति० एट्टियाओ (णावा) भरेंति० कलं गाहेंति. मच्छखलए करेंति० आयसि दलयंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्ण भइभत्त. वेयणा आयवतत्तएहि सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य रायमगंसि वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणावि य णं से सोरियदत्ते बहूहि सोहमच्छेहि य जाव पडा. सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च 6 आसाएमाणे० विहरइ। तए णं तस्स सोरियदत्तस्स मच्छंधस्स अण्णया कयाइ ते मच्छसोल्ले तलिए य भज्जिए य आहारेमाणस्स मच्छकंटए गलए लग्गे यावि होत्था / तए णं से सोरियदत्तमच्छंधे महयाए वेयणाए अभिभए समाणे कोडंबियपुरिसे सहावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्हे देवाणुप्पिया ! सोरियपुरे णयरे सिंघाडग जाव पहेसु महया 2 सद्देणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सोरियदत्तस्स मच्छकंटए गले लग्गे तं जो णं इच्छइ वेज्जो वा 6 सोरियमच्छियस्स मच्छकंटयं गलाओ णीहरित्तए तस्स णं सोरिय० विउलं अत्थसंपयाणं दलयइ / तए गं ते कोडुंबियपुरिसा जाव उग्घोसेति / तए ते बहवे वेज्जा य 6 इमेयारूवं उग्घोसणं उग्घोसिज्जमाणं णिसामेति 2 ता जेणेव सोरिय० गेहे जेणेव सोरियमच्छंधे तेणेव उवागच्छति 2 बहूहि उप्पत्तिया० परिणम. माणा वमणेयि य छहणेहि य ओवीलणेहि य कवलग्गाहेहि य सल्लद्धरणेहि य विसल्लकरणेहि य इच्छति सोरियमच्छं० मच्छकंटयं गलाओं णीहरित्तए णो चेव णं संचाएंति णीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, तए णं ते बहवे वेज्जा य 6
Page Navigation
1 ... 1455 1456 1457 1458 1459 1460 1461 1462 1463 1464 1465 1466 1467 1468 1469 1470 1471 1472 1473 1474 1475 1476