Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1447
________________ 1434 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि तए णं से बहस्सइदत्ते दारए उदायणस्स रणो पुरोहियकम्मं करेमाणे सन्चट्टा. णेसु सम्वमियासु अंतेउरे य दिण्णवियारे जाए यावि होत्या। तए णं से बहस्सइदत्ते पुरोहिए उदायणस्स रणो अंतेउरंसि वेलासु य अवेलासु य काले य अकाले य राओ य वियाले य पविसमाणे अण्णया कयाइ पउमावईए देवीए सद्धि संपलग्गे यावि होत्था पउमावईए देवीए सद्धि उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ / इमं च णं उदायणे राया हाए जाव विमसिए जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ 2 बहस्सइदत्तं पुरोहियं पउमावईदेवीए सद्धि उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ 2 आसुरुत्ते.....तिवलियं भिडि गिडाले साहट्ट बहस्सइदत्तं पुरोहियं पुरिसेहिं गिव्हावेइ जाव एएणं विहाणेणं वज्झं आ०, एवं खल गोयमा ! बहस्सइदत्ते पुरोहिए पुरापोराणाणं जाव विहरइ / बहस्सइ. दत्ते णं भंते ! दारए इओ कालगए समाणे कहिं गच्छिहिइ कहिं उपज्जिहिइ ? गोयमा ! बहस्सइदत्ते णं दारए पुरोहिए चोट्टि बासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए०, संसारो तहेव० पुढवी, तओ हथिणाउरे णयरे मियत्ताए पच्चायाइस्सइ, से गं तत्थ वाउरिएहि बहिए समाणे तत्थेव हस्थिणाउरे णयरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए० बोहि० सोहम्मे कप्पे० महाविदेहे वासे सिज्झिहि० // णिक्खेवो // पंचमं अज्झयणं समत्तं // गंदिवद्धणे णामं छठें अज्झयणं ___ जइ णं भंते !....छट्टस्स उक्खेवो एवं खल जंब ! तेणे कालेणं तेणं समएणं महुरा णाम णयरी, भंडीरे उज्जाणे, सुदंसणे मक्खे, सिरिदामे राया, बंधसिरी भारिया पुत्ते गंदिवद्धणे णा० कुमारे अही० जवराया। तस्स गं सिरि. दामस्स सुबंध णामं अमच्चे होत्था सामदंड। तस्स णं सुबन्धस्स अमच्चस्स बहमित्तपुत्ते णामं दारए होत्था अहीण. तस्स गं सिरिदामस्स रणो चित्ते णाम अलंकारिए होत्था, सिरिदामस्स रणो चित्तं बहविहं अलंकारियकम्म करेमाणे सव्वट्ठाणेसु य सव्वभूमियासु य दिण्णवियारे यावि होत्था / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा णिग्गया रायावि णिग्गओ जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समण० जेठे.....जाव रायमग्ग

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