Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 5 1433 भारहेवासे सव्वओभद्दे णामं णयरे होत्था रिद्धस्थिमियसमि० / तत्थ णं सबओभद्दे णयरे जियसत्तू णामं राया हो / तस्स णं जियसत्तस्स रणो महेसरबत्ते णामं पुरोहिए होत्था रिउव्वेय जाव अथव्वणकुसले यावि होत्था / तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए जियसत्तस्स रण्णो रज्जबलविवद्धणअट्ठयाए कल्लाल्लि एगमेगं माहणदारयं एगमेगं खत्तियदारयं एगमेगं वइस्सदारयं एगमेगं सुद्ददारयं गिण्हावेइ 2 ता तेसि जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गिण्हावेइ 2 जियसत्तस्स रण्णो संतिहोमं करेइ / तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठमीचोद्दसीसु दुवे 2 माहण. खत्तियवइस्स सुद्दे चउण्हं मासाणं चत्तारि 2 छम्ह मासाणं अट्ठ 2 संवच्छरस्स सोलस 2 जाहे जाहेवि य णं जियसत्तू राया परबलेणं अभिजुजइ ताहे ताहेवि य णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसघं त्तियदारगाणं अट्ठ. सयं वइस्सदारगाणं अट्ठसयं सुद्ददारगाणं पुरिसेहिं गिहावेइ गिण्हावेत्ता तेसि जीवंतगाणं चेव हिययउंडीओ गिण्हावेइ 2 ता जियसत्तुस्स रण्णो संतिहोमं करेइ तए णं से परबले खिप्पामेव विद्धंसिज्जइ वा पडिसेहिज्जइ वा // 23 // तए णं से महेसर दत्ते पुरोहिए एयकम्मे० सुबहुं पावकम्मं समज्जिणित्ता तीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा पंचमीए पुढवीए उक्कोसेणं सत्त. रससागरोवमटिइए णरगे उववण्णे / सेणं ताओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव कोसं. बीए णयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए मारियाए पुत्तताए उववण्णे / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसाहस्स इयं एयारूवं णामधेज्ज करेंति / जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स पुत्ते वसुदताए अत्तए तम्हा गं होउ अम्हं दारए बहस्सइदत्ते णामेणं / तए णं से बहस्सइदत्ते दारए पंचधाईपरिग्गहिए जाव परिवइ / तए णं से बहस्सइदत्ते उम्मुक्कबाल. भावे जोवण० विण्णय० होत्था। से णं उदायणस्स कुमारस्स पियबालवयस्सए यावि होत्था सहजायए सहड्डियए सहपंसुकीलियए / तए णं से सयाणीए राया अण्णया कयाइ कालधम्मणा. संजुत्ते। तए णं से उदायणकुमारे बहहि राईसर जाव सत्थवाहप्पभिईहिं सद्धि संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे सयाणीयस्स रण्णो महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं णीहरणं करेइ 2 बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेइ / तए णं से बहवे राईसर जाव सत्यवाह. उदायणं कुमारं मह० रायाभिसेएणं अभिसिंचंति / तए णं से उदायणे कुमारे राया जाए महया० /
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