Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1445
________________ 1432 अंग-पविटु सुत्ताणि णामधेज्जं करिस्संति / तं होउ णं दार० सगडे गामेणं होउ णं दारिया सुदरिसणा णामेणं / तए णं से सगडे दारए उम्मक्कबाल मावे जोवण....:मविस्सइ / तए गं सा सुदरिसणावि दारिया उम्मक्कबालभावा (विण्णय) जोवणगमगुप्पत्ता स्वेण य जोवणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किटुसरीरा यावि भविस्सइ / तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेण य जोव्वणेण य लावपुणेण य मच्छिए 4 सुदरिसणाए भ०सद्धि उरालाई मा० भोगमोगाइं भंजमाणे विहरिस्सइ / तए गं से सगडे दारए अण्णया कयाइ सयमेव कूडगाहित्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सइ / तए गं से सगडे दारए कडगाहे भविस्सइ अहम्मिए जाव दुप्पडियागंदे एयकम्मे० सुबहुं पावकम्मं जाव समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववणे / संसारो तहेव जाव पुढवीए / से गं तओ अणंतरं उध्वट्टित्ता वाणारसीए णयरीए मच्छताए उववजिहिइ / से गं तत्थ णं मच्छबंधिएहि वहिए तत्थेव वाणारसीए णयरीए सेटिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ बोहि बुद्धे० पव्व० सोहम्मे कप्पे. महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ // णिखेवो // 22 // चउत्थं अज्झयणं समत्तं // बहस्सइदत्ते णामं पंचमं अज्झयणं जइ णं भंते ! ...पंचमस्स अज्झयणस्स उक्खेवो / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी णाम णयरी होत्था रिद्धस्थिमिय० बाहि चंदोयरणे उज्जाणे, सेयमद्दे जक्खे / तत्थ णं कोसंबीए णयरीए सयाणीए णामं राया होत्था महया / मियावई देवी / तस्स णं सयाणीयस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए उदायणे णाम कुमारे होत्या अहीण. जवराया। तस्स गं उदायणस्स कुमारस्स पउमावई णामं देवी होत्या / तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते णाम पुरोहिए होत्था रिउवेयः / तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता णाम भारिया होत्था / तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए बहस्सइदत्ते णाम दारए होत्था अहीण / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे....... समोसरणं / तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे तहेव जाव रायमग्गमोगाढे तहेव पासइ हत्थी आसे पुरिसमज्झे पुरिसं चिता तहेव पुच्छइ पुत्वभवं भगवं वागरेइ-एवं खल गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे

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