Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1448
________________ विवागसुयं सु 1 अ. 6 1435 मोगाढे तहेव हत्थी आसे पुरिसे....तेसि च गं पुरिसाणं मज्झगयं एगं पुरिसं पासइ जाव णरणारीसंपरिवडं। तए गं तं पुरिसं रायपुरिसा चच्चरंसि तत्तंसि अयोमयंसि समजोहमयसीहासणंसि णिवेसावेंति, तयाणंतरं च गं पुरिसाणं मज्झगयं बहुविहं अयकलसेहि तत्तेहि समजोइएहि अप्पेगइया संबभरिएहि अप्पेगइया तउयभरिएहि अप्पेगइया सीसगभरिएहि अप्पेगइया कलकल मरि. एहि अप्पेगइया खारतेल्लभरिएहि महया 2 रायाभिसेएणं अभिसि०, तयाणंतरं च गं तत्तं अयोमयं समजोइभूयं अयोमयसंडासएणं गहाय हारं पिणद्धति / तयाणंतरं च णं अट्टहारं जाव पढें मउडं चिता तहेव जाव वागरेइ-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहेकासे सोहपुरे णामं गयरे होत्था रिद्धः / तत्थ णं सीहपुरे जयरे सोहरहे णामं राया होत्था / तस्स गं सीहरहस्स रणो दुज्जोहणे णामं चारगपालए होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स गं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स इमेयारवे चारगभंडे होत्याबहवे अयकुंडीओ अप्पेगइयाओ तंवरियाओ अप्पेगइयाओ तउयभरियाओ अप्पेगइयाओ सीसगरियाओ अप्पेगइया कलकलभरियाओ अप्पेगइयाओ खार. तेल्लमरियाओ अगणिकायंसि अहहियाओ चिट्ठति / तस्स गं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे उट्टियाओ अप्पेगइयाओ आसमुत्तमरियाओ अप्पेगड्याओ हत्थिमुत्तमरियाओ अप्पेगइयाओ गोमुत्तमरियाओ अप्पेगइयाओ महिसमुत्तमरि. याओ अप्पेगइयाओ उट्टमुत्तमरियाओ अप्पेगइयाओ अयमत्तमरियाओ अप्पेगइयाओ एल (य) मत्तमरियाओ बहुपडिपुग्णाओ चिट्ठति / तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे हृदुयाण य पायं दुयाण य हडीण य णियलाण य संकलाण य पंजा य णिगरा य संणिक्खिता चिठ्ठति / तस्स गंदूज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे वेणलयाण य वेत्तलयाण य चिचालयाण य छियाण य कसाण य वायरासीण य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तस्स गं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणंगराण य पुजा णिगरा चिट्ठति / तस्स गं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे तंताण य वर. ताण य वागुरयाण य वालयसुत्तरज्जूण य पुंजा गिरा चिट्ठति / तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण य खरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुंजा णिगरा चिठ्ठति / तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपा. लगस्स बहवे लोहखीलाण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अल्लपल्लाण

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