Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1443
________________ 1430 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि समणस्स भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे तत्य गं हत्थी आसे परिसे.....तेसि च णं पुरिसाणं मज्झगयं पासइ एगं सइत्थीयं पुरिसं अवओडयबंधणं उक्खित्त जाव घोसिज्जमाणं चिता तहेव जाव भगवं वागरेह, एवं खल गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे णाम णयरे होत्था / तत्थ णं साहगिरी णामं राया होत्था महया० / तत्थ गं छगलपुरे गयरे छणिए णामं छागलिए परिवसइ अड्ढे० अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे / तस्स गं छणियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एलयाण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सयबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जहाणि वाडगंसि संणिरुद्धाइं चिंठंति, अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसा दिण्ण. भइ भत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिट्ठति, अण्णे य से बहवे पुरिसा अयाण य जाव गिहंसि संणिरुद्धा चिट्ठति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव सहस्(महि) से य जीवियाओ ववरोति 2 मंसाइं कप्पणिकप्पियाइं करेंति 2 छणियस्स छागलियस्स उवणेति, अण्णे य से बहवे पुरिसा ताई बहयाइं अममंसाइं जाव महिसमसाई तवएसु य कवल्लीसु य कंदुएसु य भज्जणेसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेति य सोल्लेति य० तओ रायमगंसि वित्ति कप्पेमाणा विहरंति अप्पणा वि यण से छणिए छागलिए तेहिं बहुवि० मंसेहिं जाव महिसमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य मज्जिएहि य सुरं च 6 आसाएमाणे विहरइ / तए गं से छगिए छागलिए एयकम्मे....सुबहुं पावकम्मं कलिकलसं समज्जिणित्ता सत्त-वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चोत्थीए पुढवीए उक्कोसेणं दससाग. रोवमठिइएसु रइयत्ताए उववण्णे // 20 // तए णं तस्स सुभद्द-सत्यवाहस्स भद्दा मारिया जाणिदुया यावि होत्या। जाया-जाया दारगा विणिहायमावज्जंति / तए णं से छणिए छागलिए चोत्थीए पुढवीए अगंतरं उध्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए णयरीए सुभहस्स सस्थवाहस्स महाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे / तए णं सा भद्दा सत्यवाही अण्णया कयाइ णवण्हं मासाणं बहुपडि. पुण्णाणं दारगं पयाया। तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हेटाओ ठावेंति० दोच्चंपि गिण्हावेंति अणुपुव्वेणं सारक्वेति संगोवेंति संव

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