Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1433
________________ 1420 अंग-पविटु सुत्ताणि गहाय लवणसमुदं पोयवहणेण उवागए। तए णं से विजयमित्ते तत्थ लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए णिब्बुडुभंडसारे अत्ताणे असरणे कालधम्मुणा संजत्ते / तए णं तं विजयमित्तं सत्थवाहं जे जहा बहवे ईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइमसेटिसत्थ. वाहा लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए छूढं गिब्बुड्डुभंडसारं कालधम्मणा संजुत्तं सुर्णेति ते तहा हत्थणिक्खेवं च बाहिर मंडसारं च गहाय एगंतं अवक्कमति / तए गं सा सुभद्दा सत्थवाही विजयमित्तं सत्यवाहं लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए णिब्बड्ड० काल. धम्मणा संजत्तं सुणेइ 2 ता महया पइसोएणं अप्फुण्णा समाणी परसुणियत्ताविव चंपगलया धस-त्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहि संणिवडिया। तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही मुहत्तंतरेण आसत्था समाणी बहूहि.मित्त जाव परिवडा रोयमाणी कंदमाणी विलवमाणी विजयमित्तसत्थवाहस्स लोइयाई मयकिच्चाई करेइ / तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही अण्णया कयाइ लवणसमुद्दोत्तरणं च लच्छिविणासं च पोयविणासं च पइमरणं च अचितेमाणी 2 कालधम्मणा संजुत्ता // 11 // तए णं ते णगर. गुत्तिया सुभदं सत्यवाहि कालगयं जाणित्ता उज्झियगं दारगं सयाओ गिहाओ गिच्छभंति णिच्छभित्ता तं गिहं अण्णस्स दलयंति / तए णं से उज्झियए दारए सयाओ गिहाओ णिच्छुढे समाणे वाणियगामे णयरे,सिंघाडग जाव पहेसु जयखलएसु वेसियाघरेसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवडइ / तए णं से उज्झियए दारए अणोहट्टिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारे मज्जप्पसंगी चोरजयवेसदारप्पसंगी जाए यावि होत्था। तए णं से उज्झियए अण्णया कयाइ कामज्झयाए गणियाए सद्धि संपलग्गे जाए यावि होत्था, कामज्झयाए गणियाए सद्धि विउ. लाइं उरालाई माणस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरइ / तए णं तस्स विजय. मित्तस्स रणो अण्णया कयाइ सिरीए देवीए जोणिसूले पाउम्भूए यावि होत्था, णो संचाएइ विजयमित्त राया सिरीए देवीए सद्धि उरालाई माणस्सगाई मोग. भोगाई मुंजमाणे विहरित्तए / तए णं से विजयमित्ते राया अण्णया कयाइ उज्झिय. दारयं कामज्झयाए गणियाए गिहाओ णिच्छुमावेइ 2 ता कामज्झयं गणियं अभितरियं ठावेइ 2 ता कामज्झयाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरइ / तए णं से उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहाओ णिच्छभेमाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे अण्णत्थ कत्थइ सुइं च रइं च धिइं च अविदमाणे तच्चित्ते तस्मणे तल्लेसे

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