Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1432
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 2 1419 डे. रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गाहिस्स णीहरणं करेइ 2 ता बहूई लोइयमयकिच्चाई करेइ / तए णं से सुणंदे राया गोत्तासं दारयं अण्णया कयाइ सयमेव कूडग्गाहत्ताए ठवेइ / तए णं से गोत्तासे. दारए कूडग्गाहे जाए यावि होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे / तए णं से गोत्तासे दारए कूडग्गाहित्ताए कल्लाकल्लि अद्धरत्तयकालसमयसि एगे अबीए संणखबद्धकवए जाव गहियाउहप्पहरणे सयाओ गिहाओ णिग्गच्छइ 2 ता जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 ता बहूणं णगरगोरूवाणं सणाहाण य जाव वियंगेइ 2 ता जेणेव सए गेहे तेणेव उवागए / तए णं से गोत्तासे कूडग्गाहे तेहिं बहूहिं गोमंसेहि य सोल्लेहि य.... सुरं च 6 आसाएमागे विसाएमाणे जाव विहरइ / तए णं से गोत्तासे कूडग्गाहे एयकम्मे....सुबहूं पावकम्मं समज्जिणित्ता पंचवाससयाई परमाउयं पालइत्ता अट्टदुहट्टोवगए कालमांसे कालं किच्चा दोच्चाए पुढवीए उक्कोसं तिसागरोवमठिइएसु रइएसु गैरइयत्ताए उववण्णे // 10 / / तए गं सा विजयमित्तस्स सत्थवाहस्स सुमहा णाम मारिया जाणिया यावि होत्था जाया-जाया पारगा विणिहायमावज्जति / तए णं से गोत्तासे कूडग्गाहे दोच्चाए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव वाणियगामे णयरे विजमित्तस्स सत्थवाहस्स सुभद्दाए मारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववणे / तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही अण्णया कयाइ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया। तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तं दारगं जायमेत्तयं चेव एगते उक्कुरुडियाए उज्झावेइ उज्झावेत्ता दोच्चपि गिण्हावेइ 2 ता अणपुटवेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवइ ।तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ठिइवडियं च चंदसूरदसणं च जागरियं च महया इडुढीसक्कारसमुदएणं करेंति / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे णिव्वत्ते संपउत्ते बारसमे दिवसे इममेयारूवं गोणं गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंति, जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्तए चेव एगते उक्कुरुडियाए उज्झिए तम्हा णं होउ अम्हं दारए उज्झियए णामेणं / तए णं से उज्झियए दारए पंचधाईपरिग्गहिए तं०-खीरधाईए 1 मज्जणधाईए 2 मंडणधाईए 3 कीलावणधाईए 4 अंकधाईए 5 जहा दढपइण्णे जाव णिवाघाए गिरिकंदरमल्लीणे व चंपगपायवे सुहंसुहेणं विहरइ / तए णं से विजयमित्ते सत्थवाहे अण्णया कयाइ गणिमं च 1 धरिमं च 2 मेज्जं च 3 पारिच्छेज्जं च 4 चउम्विहं भंडगं

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