Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1435
________________ 1422 अंग-पविटु सुत्ताणि ओगिएहि य अमिओगित्ता उरालाई माणुस्सगाई भोग मोगाई भुंजमाणे विह रिस्सइ / तए णं से पियसेणे णसए एयकम्मे० सुबहं पावकम्मं समज्जिणित्ता एक्कवीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववज्जिहिइ, तओ सिरिसिवेसु संसारो तहेव जहा पढमो जाव पुढवी० से गं तओ अणंतरं उबट्टिता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए णयरीए महिसताए पच्चायाहिइ, से गं तत्थ अण्णया कयाइ गोहिल्लएहि जीवियाओ ववरोविए समाणे तत्थेव चपाए णयरीए सेट्रिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ, से णं तत्थ उम्मक्कबालभावे तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहि.......अणगारे सोहम्मे कप्पे जहा पढमे जाव अंतं काहिइ / णिक्खेवो // 13 // ॥बीयं अज्झयणं समत्तं // अभग्गसेणे णामं तइयं अज्झयणं तच्चस्स उक्खेवो एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं पुरिम. ताले णाम णयरे होत्था रिद्धः / तस्स णं पुरिमतालस्स णयस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्थ णं अमोहदंसणे उज्जाणे। तत्थ णं अमोहदंसिस्स जक्खस्स आययणे होत्था / तत्थ गं पुरिमताले ण. महाबले णामं राया होत्था / तत्थ णं पुरिमतालस्स णयरस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए देसप्पंते अडवी संठिया, एत्थ सालाडवी णामं चोरपल्ली होत्था विसमगिरिकंदरकोलंबसंणिविदा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छिण्णसेलविसमप्पवायफरिहोवगढा अमितरपाणीयासुदुल्लभजलपेरंता अणेगखंडी विदियजणदिण्णणिग्गमप्पवेसासुबहुयस्सवि कुवियस्स जणस्स दुप्पहंसा यावि होत्था / तत्थ गं सालाडवीए चोरपल्लीए विजय णामं चोरसेणावई परिवसइ अहम्मिए जाव लोहियपाणी बहुणयरणिग्ग. यजसे सूरे दढप्पहारे साहसिए सहवेही असिलट्ठिपढममल्ले, से णं तत्थ सालाडवीए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाणं आहेवच्चं जाव विहरइ // 14 // तए णं से विजए चोरसेणावई बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयाण य संधिच्छेयाण य खंडपट्टाण य अण्णेसि च बहूणं छिण्णभिण्णबाहिराहियग्णं कुडंगे यावि होत्था, तए णं से विजए चोरसेणावई पुरिमतालस्स णयरस्स उत्तरपुरथिमिल्लं

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