Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ 1424 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि अंडयवाणियस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ भत्तवेयणा कल्लाल्लि कुदालियाओ य पत्थियपिडए य गिव्हंति 2 ता पुरिमतालस्स गयरस्स परिपेरंतेसु बहवे काइ. अंडए य घूइअंडए य पारेवइ० टिट्टिमिअंडए य खगि अं० मयूरि० कुक्कुडिअंडए य असि च बहूणं जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडाई गेहंति 2 ता पत्थियपिडगाइं भरेंति 2 जेणेव णिण्णए अंडवाणियए तेणेव उवागच्छंति 2 ता णिग्णयस्स अंडवाणियस्स उवणेति / तए णं तस्स णिण्णयस्स अंडवाणि. यस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ० बहवे काइअंडए य जाव कुक्कुडिअंडए य अण्णेसि च बहूणं जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडयए तवएसु य कवल्लीसु य कंदुएसु य भज्जणएसु य इंगालेसु य तलेंति भज्जति सोलेंति तलेता भज्जता सोल्लेंता रायमग्गे अंतरावर्णसि अंडयपणिएणं वित्ति कप्पेमाणा विहरति / अप्पणावि य णं से णिण्णए अंडवाणियए तेहिं बहूहि काइअंडएहि य जाव कुक्कुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च.....आसाए. माणे विसाएमाणे विहरइ / तए णं से णिण्णए अंडवाणियए एयकम्मे 4 सुबहुं पावकम्मं समज्जिणित्ता एगं वाससहस्सं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए उक्कोससत्तसागरोवमठिइएसु णेरंइएसु रइयत्ताए उववण्णे // 16 // से णं तओ अणंतरं उम्पट्टित्ता इहेव सालाडवीए चोरपल्लीए विजयस्स चोर सेणावइस्स खंदसिरीए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे / तए णं तीसे खंदसिरीए भारियाए अण्णया कयाइ तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमे एयारूवे दोहले पाउन्म ए-धण्णाओ गं ताओ अम्मया० जाओ गं बहूहि मितणाइणियगसयणसंबंधिपरियणमहिलाहिं अण्णाहि य चोरमहिलाहिं सद्धि संपरि. वुडा व्हाया कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च म० च आसाएमाणी विसाएमाणी. विहरंति। जिमियभत्तत्तरागयाओ परिसणेवत्थिया संणद्धबद्ध जाव गहियाउहप्पहरणा. वरणामरिएहि फलएहि णिक्किट्ठाहि असोहि अंसागएहि तोहिं सजीवेहि धहि समुक्खित्तेहिं सरेहि समुल्लालियाहिं दामाहि लंबियाहि य ओसारियाहिं ऊरु. घंटाहि छिप्पतूरेणं वज्जमाणेणं 2 महया उक्किट्ठ जाव समुद्दरवभूयं पिव करेमाणीओ सालाडवीए चोरपल्लीए सवओ समंता ओलोएमाणीओ 2 आहिंडमाणीओ 2 दोहलं विणेति / तं जइ गं अहंपि जाव दोहलं विणिज्जामि-त्ति
Page Navigation
1 ... 1435 1436 1437 1438 1439 1440 1441 1442 1443 1444 1445 1446 1447 1448 1449 1450 1451 1452 1453 1454 1455 1456 1457 1458 1459 1460 1461 1462 1463 1464 1465 1466 1467 1468 1469 1470 1471 1472 1473 1474 1475 1476