Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 2 1421 तवज्सवसाणे तदट्ठोवउत्ते तयप्पियकरणे तन्मावणाभाविए कामज्झयाए गणियाए बहणि अंतराणि य छिहाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे 2 विहरइ / तए गं से.उज्झियए दारए अण्णया कयाइ कामज्झयं गणियं अंतरं लम्भेइ 2 कामज्झयाए गणियाए गिहं रहसियं अणप्पविसइ 2 ता कामज्झयाए गणियाए सदि उरालाई माणस्सगाई भोगभोगाइं भंजमाणे विहरइ / इमं च णं मित्ते राया हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सवागुरापरिक्खि ते जेणेव कामज्मयाए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तत्थ गं उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई जाव विहरमाणं पासइ 2 ता आसुरुत्ते 4 तिवलियमिउडि णिडाले साहट उज्झियगं दारगं पुरिसेहिं गिण्हावेइ 2 ता अट्टिमट्टिजाणुकोप्परपहारसंभग्गहियगत्तं करेइ 2 ता अवओडयबंधणं करेइ 2 ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणावेइ / एवं खलु गोयमा ! उज्झियए दारए पुरापोराणाणं कम्माणं जाव पच्चणभवमाणे विहरइ // 12 // उज्झियए णं भंते ! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहि. कहि उववज्जिहिइ ? गोयमा ! उज्झियए दारए पणवीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिमागावसेसे दिवसे सूलीभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रइयत्ताए उववज्जिहिइ, से गं तओ अणंतरं उवट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे वेयगिरिपायमूले वाणरकुलंसि वाणरत्ताए उववज्जिहिइ / से गं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोगेसु मच्छिए गिद्ध गढिए अज्झोववण्णे जाए-जाए वाणरवेल्लए वहेइ तं एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमयारे कालमासे कालं किच्चा इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णयरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ / तए गं तं दारयं अम्मापियरो जायमेत्तकं वद्धेहिति नपुंसगकम्मं सिक्खावेहिति / तए गं तस्स दारयस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं णामधेज्ज करेहिति तं०-होउ णं अम्हं इमे दारए पियसेणे णाम णपुंसए। तए गं से पियसेणे गपुं. सए उम्मक्कबालभावे जोव्वणगमणुप्पत्ते विष्णयपरिणयमेत्ते रूवेण य जोवणेण य लावण्णेण य उक्किठे उक्किट्ठसरीरे भविस्सइ / तए णं से पियसेणे णपुंसए इंदपुरे णयरे बहवे राईसर जाव पभियओ बहूहि य विज्जापओगेहि य मंतचण्णेहि य हियउड्डावणेहि य पिण्हवणेहि य पण्हवणेहि य वसीकरणेहि य आमि.
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