Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1431
________________ 1418 अंग-पविटु सुत्ताणि प्पिए ! ओहय जाव झियासि ? तए णं सा उप्पला भारिया भीमं कूडग्गाह एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिण्हं मासाणं बहपडिपुण्णाणं दोहले पाउन्भए धण्णाणं ता. जाओ गं बहणं गो. ऊहेहि य जाव लावणेहि य सुरं च 3 आसाएमाणीओ० दोहलं विणेति, तए णं अहं देवाणप्पिया ! तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि जाव झियामि / तए णं से भीमे कूडग्गाहे उप्पलं भारियं एवं वयासी-मा गं तुम देवाणुप्पिया ! ओहय. झियाहि, अहं गं तहा करिस्सामि जहा गं तव दोहलस्स संपत्ती मविस्सइ, . ताहि इटाहिं 5 जाव वाहिं समासासेइ / तए णं से भीमे कूडग्गाहे अद्धरत्तकालसमयंसि एगे अबीए संणद्ध जाब पहरणे सयाओ गिहाओ णिग्गच्छइ 2 त्ता हत्थिणाउरे णयरे मज्झमज्झेणं जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागए 2 ता बहूर्ण णगरगोरूवाणं जाव वसभाण य अप्पेगइयाणं ऊहे छिदइ जाव अप्पेगइयाणं कंबले छिदए अप्पेगइयाणं अण्णमण्णाणं अंगोवंगाणं वियंगेइ 2 ता जेणेंव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 ता उप्पलाए कडग्गाहिणीए उवणेइ / तए गं सा उप्पला भारिया तेहिं बहूहि गोमंसेहि य सोल्लेहि य सुरं च [५]आसा. एमा० तं दोहलं विणेइ / तए णं सा उप्पला कडग्गाहीणी संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिण्णदोहला संपण्णदोहला तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहइ / तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी. अण्णया कयाइं णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया // 6 // तए णं तेणं दारएणं जाय-मेत्तेणं चेव महया महया सद्देणं विघठे विस्सरे आरसिए / तए णं तस्स दारगस्स आरसियस सोच्चा णिसम्म हस्थिणाउरे णयरे बहवे णगरगोरूवा जाव वसभा य भीया... उध्विग्गा सव्वओ समंता विप्पलाइत्था / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं णामधेज्ज करेंति, जम्हा गं अम्हं इमेणं दारएणं जायमेतेणं चेव महया महया चिच्चीसद्देणं विघुठे विस्सरे आरसिए तए गं एयस्स दार. गस्स आरसियसई सोच्चा णिसम्म हस्थिणाउरे बहवे णगरगोरूवा जाव भीया 4 सव्वओ समंता विप्पलाइत्था तम्हा णं होउ अम्हं दारए गोत्तासे णामेणं / तए णं से गोत्तासे दारए उम्मुक्कबाल मा० जाए यावि होत्था / तए णं से भीमे कूडग्गाहे अण्णया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते / तए णं से गोत्तासे दारए बहूर्ण मित्त-णाइणियगसयणसंबंधिपरियणेणं सद्धि संपरि

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