Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1429
________________ 1416 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि बत्तीसपुरिसोक्यारकुसला णवंगसुत्तपडिबोहिया अट्ठारसदेतीभासाविसारया सिंगारागारचारवेसा गीयरइयगंधव णट्टकुमला संयमय० सुंदर था. ऊसियज्झया सहस्सलभा बिदिण्णा छत्तचामरवालवीयणीया कण्णीरहपयाया यावि होत्था, बहणं गणियासहस्साणं आहेबच्वं जाव विहरइ // 7 // तत्थ णं वाणियगामे विजयमित णामं सत्यवाहे परिवसइ अड़ ढे०, तस्स बिजयमित्त. स्स सुभद्दा णामं भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं विजयमित्तस्स पुतं सुम. दाए भारियाए अत्तए उज्झियए णामं दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे मगवं महावीरे जाव सभोसढे गरिमा णिग्गया राया वि जहा कणिओ तहा णिग्गओ धम्मो कहिओ परिसा पडिगया राया य गओ / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणरस भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभई णामं अणगारे जाव लेसे छठंछठेणं जहा पण्णत्तीए पढम जाव जेणेव वाणियगामे णयरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता उच्चणीय......."अडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव ओगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ संणद्धबद्धव. म्मियगुडिय उप्पीलियकच्छे उद्दामियघंटे ताणामणि रयाधिविहगवे. ज्ज उत्तरकंचुइज्जे पडिकप्पिए झयपडागवरपंचामेलआरूढहत्थारोहे हियाउह. प्पहरणे अण्णे य तत्थ बहवे आसे पासइ संणबद्धवम्मियगुडिए आविद्धगुडे ओसारियपवखरे उत्तरकंचुइयओचलमहचंडाधरचामरथानगपरिमंडियकडिए आरूढअस्सारोहे गहियाउहप्पहरणे अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ संणद्धबद्ध. वम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणद्ध गेवेज्जे विमलवरबद्धचिधपट्टे गहियाउहप्पहरणे, तेसि च णं पुरिसाणं मज्झगवं एगं पुरिसं पासइ अबओडयबंधणं उक्खि तकण्णणासं णेहतुप्पियगतं बज्झकरकडियजय णियत्वं कंठेगुणरत्तमल्लदामं चुण्णगुंडियगायं चुण्णयं वज्यपापीयं तिलं तिलं चेव छिज्जमागं कागणिमसाई खावियंत पावं खक्खरगाएहि हम्नमाणं अणेग-णर-णारीसंपरिवुडं चच्चरे-चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं, इम च ण एयारूवं उग्घोसणं पडिसुणेइ-णो खलु देवा० ! उझियगस्स दार गत्प केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ अप्पणो से सयाई कम्माई अवरशंति // 8 // तए णं से भगवओ गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता इसे अज्ञथिए ५अहो जइसे पुरिसे जाव णिरयपडिरूवियं वेयणं वेशइत्तिकर वाणिय

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