Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1422
________________ विवागसुयं सु. 1 अ. 1 1409 समणे भगवं महावीरे विजयस्स खत्तियस्स तीसे य० धम्ममाइक्खइ जाव, परिसा (जाव) पडिगया, विजए वि गए // 3 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभई णामं अणगारे जाव विहरइ / तए णं से भगवं गोयमे तं जाइअंधपुरिसं पासइ 2 ता जायसड्ढे जाव एवं वयासी-अस्थि गंभंते ! के पुरिसे जाइअंधे जाइअंधारूवे ? हता अस्थि, कहि गं भंते ! से पुरिसे जाइअंधे जाइअंधारूवे ? एवं खल गोयमा ! इहेव मियग्गामे गयरे विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियापुत्ते णामं दारए जाइअंधे जाइअंधारूवे, णस्थि णं तस्स दारगस्स जाव आगिइमेत्ते, तए णं सा मियादेवी जाव पडिजागरमाणी 2 विहरइ / तए णं से भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वं० 2 त्ता एवं वयासीइच्छामि गं भंते ! अहं तुम्भेहि अब्भणण्णाए समाणे मियापुत्तं दारयं पासित्तए / अहासुहं देवाणुप्पिया ! तए णं से भगवं गोयमे समणेणं भगवया महा. वीरेणं अन्मणुण्णाए, समाणे हद्वतुळे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ 2 ता अतुरियं जाव सोहेमाणे 2 जेगेव मियग्गामे णयरे तेणेव उवागच्छइ २त्ता मियग्गामं जयरं मज्झमज्झेणं जेणेव मियाए देवीए गिहे तेणेव उवागच्छद / तए णं सा मियादेवी भगवं गोयम एज्ज. माणं पासइ 2 ता हट्टतुट्ट जाव एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणप्पिया ! किमागमणप्पओयणं ? तए णं से भगवं गोयमे मियादेवि एवं वयासी-अहं गं देवाणुप्पिए ! तव पुत्तं पासिउं.हव्वंमागए / तए गं सा मियादेवी मियापुत्तस्स दारयस्स अणमग्गजायए चत्तारि पुत्ते सव्वालंकारविमूसिए करेइ 2 ता भगवओ गोयमस्स पाएसु पाडेइ 2 त्ता एवं वयासी-एए गं भंते ! मम पुत्ते पासह / तए गं से भगवं गोयमे मियं देवि एवं वयासी-णो खल देवा. अहं एए तव पुत्ते पासिउं हवमागए, तत्थ गं जे से तव जेठे पु०मियापुत्ते दारए जाइअंधे जाइअंधारूवे ज णं तुमं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्त. पाणणं पडिजागरमाणी 2 विहरसि तं गं अहं पासिउं हवमागए / तए गं सा मियादेवी भगवं गोयम एवं वयासी-से के गं गोयमा ! से तहारूवे णाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एसमठे मम ताव रहस्सिकए तुम्भं हवमक्खाए जओ गं तुब्भे जाणह ? तए णं भगवं गोयमे मियं देवि एवं वयासी-एवं खल

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