Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1413
________________ पण 1400 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि विसुद्धमूलो धिइकंदो विणयवेइओ णिग्गयतिलोग्गविउलजसणिचियपीणपीवर. सुजायखंधो पंचमहत्वयविसालसालो भावणतयंतज्झाणसुभजोगणाणपल्लववरकुरधरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सीलसुगंधो अणण्हवफलो पुणो य मोक्खवरबीज. सारो मंदरगिरिसिहरचूलिआ इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स सिहरभूओ संवर. वरपायवो चरिम संवरदारं / जत्थ ण कप्पइ गामागरणगरखेडकब्बडमंडबदोण. महपट्टणासमगयं च किचि अप्पं व बहं व अणं व थलं व तसथावरकायदध्वजायं मणसावि परिघेत्तुंग हिरण्णसुवण्णखेत्तवत्य ण दासीदास भयकपेसहयगयगवेलगं चण जाणजग्गसयणासणाई ण छत्तगंण कुंडिया ण उवाणहा ण पेहुणवीयणतालि यंटगा ण यावि अयतउयतंबसीसगकसरययजायरूवमणिमत्ताहारपुडकसंखदंतमणिसिंगसेलकायवरचेलचम्मपत्ताई महरिहाई परस्स अज्झोववायलोभजणणाई परियडिउ गणवओ ण यावि पुप्फफलकंदमलाइयाइं सणसत्तरसाइं सव्वधण्णाई तिहि वि जोहिं परिघेत्तुं ओसहभेसज्ज भोयणट्टयाए संजएणं, कि कारणं ? अपरि. मियणाणमणधरेहिं सीलगुणविणयतवसंजमणायहि तित्थयरेहि सव्वजगज्जीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहि जिणरिदेहि एस जोणी जंगमाणं दिदा ण कप्पइ जोणिसमच्छेदोत्ति तेण वज्जति समणसीहा / जंपिय ओदणकुम्मासगंजतप्पणमथु मुज्जियपललसूपसक्कुलिवेढिमवरसरकचुण्णकोसपिंडसिहरिणिवट्टमोयगखीरदहिसप्पिणवणीयतेल्लगलखंडमच्छंडियमहुमज्ज-मस-खज्जग. वंजणविधिमाइयं पणीयं उवस्सए परघरे व रण्णे ण कप्पइ. तंपि समिहि काउं सुविहियाणं, जंपिय उद्दिद्ववियरचियगपज्जवजायं पकिण्णपाउकरणपा. मिच्च मीसकजायं कीयगडपाहुडं च दाण?पुण्णपगडं समणवणीमगट्टयाए व कयं पच्छाकम्मं पुरेकम्मं णिइकम्मं मक्खियं अईरित्तं मोहरं चेव सयग्गहमाहडं मट्टिओवलित्तं अच्छेज्ज चेव अणीसढ़ जं तं तिहीसु जण्णेसु ऊसवेसु य अंतो व बहिं व होज्ज समणट्टयाए ठवियं हिंसासावज्जसंपउत्तं ण कप्पइ तंपि. य परिघेत्तुं / अह केरिसयं पुणाइ कप्पइ ?जंतं एक्कारसपिंडवायसुद्धं किणणहणणपयणकयकारियाणमोयणणवकोडीहि सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहि धिप्प. मुक्कं उग्गमउप्पायणेसणाए सुद्धं ववगयचुयचवियचत्तदेहं च फासुयं ववगय. संजोगर्माणगालं विगयधूमं छट्ठाणणिमित्तं छक्कायपरिरक्खणट्ठा हणि-हणि फासुएण मिक्खेण वट्टियन्वं, जंपि-य समणस्स सुविहियस्स उ रोगायके बहुप्प

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