Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1416
________________ पण्हावागरणं सु. 2 अ. 5 1403 ऽमणण्णसुब्मिदुभिरागदोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवडे पणि. हिइंदिए चरेज्ज धम्मं / बिइयं चक्खिदिएण पासिय रूवाणि मणुएगाई भद्दगाई सचित्ताऽचित्तमीसगाई कठे पोत्थे य चित्तकम्मे लेप्प. कम्मे सेले घ दंतकम्मे य पंचहि वण्णेहि अणेगसंठाणसंठियाई गंठिमवेढिम. पूरिम-संघाइमाणि य मल्लाइं बहुविहाणि य अहियं णयणमणसुहयराई वणसंडे पन्वए य गामागरणगराणि य खुद्दिय-पुक्खरिणि-वावी-दीहियगुंजालियसरसरपंतियसागरबिलपंतियखादियणईसरतलागवप्पिणीफुल्लप्पलपउमपरि. मंडियाभिरामे अणेगसउणगणमिहुणविचरिए वरमंडवविविहभवणतोरण-चेइयदेवकुलसभपवावसहसुकयसयणासणसीयरहसयडजाणजग्गसंदणरणारिगणे य सोमपडिरूवदरिसणिज्जे अलंकियविभूसिए पुवकयतवप्पभावसोहग्गसंपउत्ते पडणट्टगजल्लमल्लमट्टियवेलंवगकहगपवगलासगआइक्खगलंखमंख-तणइल्लतुंब . वीणियतालायरपकरणाणि य बहणि सुकरणाणि अण्णेसु य एवमाइएसु रूवेसु मणण्णमएसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं ण रज्जियव्वं जाव ण सई च मइं च तत्थ कुज्जा, मुणरवि चक्खिदिएण पासिय रूवाइं अमणण्णपावगाई, कि ते ? गंडिकोढिककुणिउदरिकच्छल्लपइल्लकुज्जपंगुलवामणअंधिल्लगएगचक्वविणिहयसप्पिसल्लगवाहिरोगपीलियं विगयाणि य मयगकलेवराणि सकिमिण. कुहियं च दश्वरासि अण्णेसु य एवमाइएस अमणण्णपावएसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं जाव ण दुगंछावत्तियावि लम्भा उप्पाएउं, एवं चक्खिदियभावणा. भाविओ भवइ अंतरप्पा जाव चरेज्ज धम्मं / तइयं घाणिदिएण अग्घाइय गंधाइं मणण्णमहगाई,किते ? जलय-थलय-सरसपुप्फफलपाणभोयण-कुट्ट-तगर. पत्त-चोयदमणगमरुयएलारसपिक्कमंसि-गोसीससरसचंदणकप्पूर-लवंगअगरकुंकु. मकक्कोलउसीरसेयचंदणसुगंधसारंगज़त्तिवरधूववासे उउपिडिमणिहारिमगंधि. एसु अण्णेसु य एवमाइएसु गंधेसु मणुण्णभद्दएसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव ण सइंच मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि घाणिदिएण अग्घाइय गंधाणि अमणण्णपावगाई, कि ते ? अहिमडअस्समडहत्थिमडगोमडविगसुणगसियालमणुयमज्जारसीहदीवियमयकुहियविणटुकिविणबहुदुरभिगंधेसु अण्णेसु य एवमाइएसुगंधेसु अमणुण्णपावएसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं जाव पणिहियपंचिदिए चरेज्ज धम्मं / चउत्थं निमिदिएणसाइयरसाणि उ मणुण्णमद्दगाइं, कि

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