Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 1393
________________ 1380 अंग-पविटु सुत्ताणि आरामुज्जाणमणाभिरामपरिमंडियस्स दाणिड्डवेयड्डगिरिविभत्तस्स लवणजलहिपरिगयस्स छम्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीरकित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अणिहया अपराजियसत्तमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साण. क्कोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मियमंजलपलावाहसियगंभीर महुरभणिया अन्भवगयवच्छला सरणा लक्खणवंजणगणोववेया माणम्माणपमाणपडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससि सोमागार-खंतपियदंसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालद्ध उम्विद्धगरलकेऊबलवगगज्जतदरियदप्पियमुट्टियचा. नरमरगारिट्वसभघाइणो केसरिमहविप्फाडगा दरियणागदप्पमहणा जमलज्जणभंजगा महासउणिपूयणारिव कंसमउडमोडगा जरासंधमाणमहणा तेहि य अविरलसमसहियचंदमंडलसमप्पहिं सूरमिरीयकवयं विणिम्मयंतेहि सपतिदंहि आपवतेहि धरिज्जतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहरविहरणसमुट्टियाहि णिरुवहयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहि अमइलसियकमलविमुकुलज्जलियरययगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयणिम्मलाहिं पवणाहयचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूचंचलाहि माणससरपसरपरिचियावासविसदवेसाहि कणगगिरिसिहरसंसिताहिं उवाउप्पायचवलजयि. णसिग्घवेगाहिं हंसवधूयाहि चेव कलिया जाणामणिकणगमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तडंडाहिं सललियाहि गरवइसिरिसमुदयप्पगासणकरीहि वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहिं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूववसवासविसदगं. धुयाभिरामाहि चिल्लिकाहि उभयोपासंपि चामराहि उक्खिप्पमाणाहि सुहसीतलवायवीइयंगा अजिया अजियरहा हलमसलकणगपाणी संखचक्कगयत्तिगंदगधरा पवरुज्जलसुकविमलकोथूमतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीय. णयणा एगावलीकंठरइयवच्छा सिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउय-सुरभि. कुसुमसुरइयपलंबसोहंतवियसंतचित्तवणमालरइयवच्छा अट्ठसयविमत्तलक्खणपसत्थसंदरविराइयंगमंगा मत्तगयरिदललियविक्कमविलसियगई कडिसुत्तग. णीलपीयकोसिज्जवाससा पवरदित्ततेया सारयणवणियमहुरगंभीरणिद्धघोसा. गरसीहा सोहविक्कमगई अत्यनियपवररायसीहा सोमा बारवइपुण्णचंदा पुवकय. तवप्पमावा णिविट्ठसंचियसुहा अणेगवाससयमायुवंतो भज्जाहिं य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे अणु भवेत्ता ते-वि उवणमंति मरण

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