Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पण्हावागरणं सु. 2 अ. 2 1391 बीयं अज्झयणं जंबू ! बिइयं च सच्चवयणं सुद्धं सुइयं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं सुदिळं सुपइ ट्ठियं सुपइट्टियजसं सुसंजमियवयणबुइयं सुरवरणरवसभपवरबलवगसुविहियजणबहुमयं परमसाहुधम्मचरणं तवणियमपरिग्गहियं सुगइपहदेसगं च लोगत्तमं अमिग विज्जाहरगगणगमणविज्जाणसाहकं सग्ग. मग्गसिद्धिपहदेसगं अवितह तं सच्चं उज्जुयं अकुडिलं भूयत्थं अत्थओ विसुद्ध उज्जोयकरं पभासगं भवइ सव्वमावाण जीवलोए अविसंवाइ जहत्थमधुरं पच्चक्खं दइवयंव ज त अच्छेरकारगं अवत्यंतरेसु बहुएसु माणसाणं सच्चेण महासमद्दमज्झवि चिट्ठति ण णिमज्जति मढाणियावि पोया सच्चेण य उदग. संभमंमिवि ण वज्झइ ण य मरंति थाहं ते लमंति सच्चे ग य अगणिसंभमंमिवि ण डझंति उज्जगा मणूसा सच्चेण य तत्ततेल्लतउलोहसीसगाई छिवंति धरेंति ग य उज्झंति मणसा पव्वयकडकाहि मच्चते ण य मरंति सच्चेण य परिग्गहिया असिपंजरगया समराओवि णिइंति अणहा य सच्चवाई वहबंधभियोगवेरघोरेहि पच्चंति य अमित्तमज्झाहि णिइंति अणहा य सच्चवाई सादेव्वाणि य देवयाओ करेंति सच्चवयणे रत्ताणं / तं सच्चं भगवं तित्थयरसुभासियं दसविहं चोद्दसपुग्वीहिं पाहुडत्थविइयं महरिसीण य समयप्पइण्णं देविदरिंदमासियत्थं वेमाणियसाहियं महत्थं मंतोसहिविज्जासाहणत्यं चारणगणसमणसिबविज्ज मण्यगणाणं वंदणिज्ज अमर. गणाणं अच्चणिज्ज असुरगगाणं च पूणिज्ज अणेगपासंडिपरिग्गहियं जं तं लोगंमि सारभूयं गंभीरतरं महासमद्दाओ थिरयरगं मेरुपव्वयाओ सोमतरगं चंदमंडलाओ दित्तयरं सूरमंडलाओ विमलयरं सरयणहयलाओ सुरभियरं गधमादणाओ जेविय लोगम्मि भपरिसेसा मंतजोगा जवा य विज्जा य जभगा य अत्याणि य सत्याणि य सिक्खाओ य आगमा य सब्वाणिवि ताई सच्चे पइट्टियाई, सच्चंपिय संजमस्स उवरोहकारगं किचि ण वत्तवं हिंसा. सावज्जसंपउत्तं भेयविकहकारगं अणत्थवायकलहकारगं अणज्ज अववायविवा. 'यसंपउत्तं वेलंबं ओजधेज्जबहुलं णिल्लज्ज लोयगरहणिज्जं दुद्दिठं दुस्सुयं अम. णियं अप्पणो थवणा परेसु णिदाण तंसि मेहावी ण तंसि धण्णो ण तंसि पियधम्मों ण तं कुलीणो ण तंसि दाणवई ण तसि सूरो ण तंसि पडिरूवो ण तंसि लट्ठो ण
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