Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ अंग 1394 अंग-पविट्ट सुत्ताणि णिरासवं णिभयं विमुत्तं उत्तमणरवसभपवरबलवगसुविहियजणसंमतं परमसाहुधम्मचरणं जत्थ य गामागरणगरणिगमखेडकब्बडमडंबदोणमुहसंबाहपट्टणा. समगयं च किंचि दव्वं मणिमत्तसिलप्पवालकंसदूसरययवरकणगरयणमाई पडियं पम्हढं विप्पणठं ण कप्पइ कस्सइ कहेउ वा गेण्हिउँ वा अहिरण्ण. सुवणिकेण समलेट्टकंचणेणं अपरिग्गहसंवडेणं लोगंमि विहरियव्वं, जंपिय होज्जाहि दव्वजायं खलगयं खेत्तगयं रणमंतरगयं वा किंचि पुप्फफल-तयप्पवालकंदमूल-तणकटुसक्कराइ अप्पं च बहुं च अणुं च थलगं वा ण कप्पड़ उग्गहमि अदिग्णमि गिहिउँ जे. हणि हणि उग्गहं अणुण्णविध गेण्हियन्वं वज्जेयन्वो [य] सव्वकालं अचियत्तघरपवेसो अचियत्तभत्तपाणं अचियत्तपीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपत्तकंबलदंडगरयहरणणिसेज्जचोलपट्टगमहपोत्तियपायपुंछणाइ-भायण - भंडोवहिउवगरणं परपरिवाओ परस्स दोसो परववएसेणं जं च गेण्हइ परस्स णासेइ जं च सुकयं दाणस्स य अंतराइयं दाणविप्पणासो पेसुण्ण चेव मच्छरियं च, जेविध पीढफलगसेज्जासंथारगवत्थपायकंबलदंडगरयहरणणिसेज्जचोलपट्टग. महपोत्तियपायपंछणाइ भायणभंडोवहिउवगरणं असंविभागी असंगहरुई तवतेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य सहकरे झंझकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोई सययं अणुबद्धवेरे य णिच्च. रोसी से तारिसए णाराहए वयमिणं / अह केरिसए पुणाई आराहए वयमिणं ? जे से उवहिभत्तपाणसंगहणदाणंकुसले अच्चतबालदुब्बलगिलाणबुड्डखवग-पवत्ति आयरियउवज्झाए सेहे साहम्मिए तस्सीकुलगणसंघचेइयठे य णिज्जरट्ठी वेयावच्चं अणिस्सियं दसविहं बहुविहं करेइ, ण य अचियत्तस्स गिहं पविसइ ण य अचियत्तस्स गेण्हइ भत्तपाणं ण य अचियत्तस्स सेवइ पीढफलगसेज्जा. संथारगवत्थपायकंबल-दंडगरयहरणणिसेज्ज-चोलपट्टय-महपोतियं-पायपुंछणाइ. भायणभंडोवहि उवगरणं ण य परिवायं परस्स जंपइ ण यावि दोसे परस्स गेहइ परववएसेण वि ण किंचि गेण्हइ ण य विपरिणामेइ किंचि जणं ण यावि णासेइ दिण्णसुकयं दाऊण य काऊण य ण होइ पच्छाताविए संविभागसीले संगहोवग्गहकुसले से तारिसए आराहए वयमिणं, इमं च परदव्वहरणवेरमणपरिरक्खिणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभई सुद्धं णेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सम्वदुक्खपावाणं विओवसमणं, तस्स इमा
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