Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ 1378 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि चउत्थं अज्झयणं जंबू ! अबभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स पत्थणिज्ज पंकपण. यपासजालभूयं थीपुरिसणघुमवेचिधं तवसंजमबंभचेरविग्घं भेयाययणबहुपमायमूलं कायरकापुरिससे वियं सुयणजणवज्जणिज्ज उड्डणरयतिरियतिलोक्कपइट्ठाणं जरामरणरोगसोगबहुलं वधबंधविधायदुविघायं दसणचरितमोहस्स हेउभूयं चिरपरिगयमणुगयं दुरंतं / चउत्थं अधम्मदारं // 13 // तस्स य णामाणि गोण्णाणि इमाणि होति तीसं, तं०-अब मं 1 मेहणं 2 चरतं 3 संसग्गि 4 सेवणाधिकारी 5 संकप्पो 6 बाहणापयाणं 7 दप्पो 8 मोहो 9 मणसंखोभो 10 अणिग्गहो 11 वग्गहो 12 विघाओ 13 विभंगो 14 विभमो 15 अधम्मो 16 असीलया 17 गामधम्मतित्ती 18 रई 19 राग. चिता 20 कामभोगमारो 21 वेरं 22 रहस्सं 23. गुज्झं 24 बहुमाणो 25 बंभचेरविग्यो 26 वावत्ति 27 विराहणा 28 पसंगो 29 कामगणोत्ति 30 वि य तस्स एयाणि एबमाइणि णामधेज्जाणि होति तीसं // 14 // तं च पुण णिसे. वंति सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमई असुरभयगगरुलविज्जजलणदीवउद. हिदिसिपवणथणिया 10 अणवण्णियपणवणियइसिवाइयभयवाइयकंदियमहा. कदियकूहंडपयंगदेवा 8 पिसायभूयजक्ख रक्खसकिणरकिंपुरिसमहोरगगंधव्वा 8 तिरियजोइसविमाणवासिमणयगणा जलयरथलयरखहयरा य मोहपडिबद्धचित्ता अवितण्हा कामभोगतिसिया तहाए बलवईए महईए समभिभूया गढिया य अइमच्छिया अबंभे उस्सण्णा तामसेण भावेण अणम्मक्का दंसणचरितमोहस्स पंजरं पिव करेंति अण्णोऽण्णं सेवमाणा, भज्जो असुरसुरतिरियमणुयभोगरइ. विहारसंपउत्ता य चक्कवट्टी सुरणरवइसक्कया सुरवरुव्व देवलोए भरहणग गरणिगमजणवयपुरवरदोणमुहखेडकब्बडमडंबसंबाहपट्टणसहस्समंडियं थिमि. यमेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं परसीहा परवई गरिंदा णरव. सभा मरुयवसभकप्पा अमहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायसति. लगा रवि-ससि संखवरचक्क-सोत्थिय-पडाग-जव मच्छ-कुम्म-रहबर भगभवणविमाण-तुरयतोरण-गोपुरमणिरयण-गंदियावत्त-मुसलणंगलसुरइयवरकप्परुक्खमिगवइभद्दासणसुरूविथूभवरमउडसरियकुंडलकुंजरवरवसभदीवमंदिरगरलद्ध
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