Book Title: Angpavittha  Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

Previous | Next

Page 1395
________________ 1382 अंग-पविट्ट सुत्ताणि पत्तलच्छा आणामियचावरुइल-किण्हब्भराजि-संठियसंगयायय-सुजाय ममगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमंसलकवोलदेसभागा अचिरुग्गयबालचंदसंठियमहाणिडाला उडुवतिरिव पडिपुषणसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घण. णिचियसुबद्धलक्खणण्णयकूडागारणिपिडियग्गसिरा हुयवहणितधोयतत्तत. वणिज्जरत्तकेसंतकेसभमी सामलीपोंडघणणिचियछोडियमिउविसतपसत्थसुहम. लवखण सुगंधि संदरभयमोयग-भिगणीलकज्जल पहलुभमरगण-णिद्धणिगरुंबणि. चियकुंचिय-पयाहिणावत्त-मुद्धसिरया सुजातसुविभत्तसंगयंगा लक्खणवंजण. गणोववेया पसत्थबत्तीसलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सरा उज्जस्सरा मेघस्सरा सुस्सरा. सुस्सरणिग्घोसा बजरिसहणारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउज्जोवियंगमंगा पसत्थच्छवी णिराका कंकग्ग. हणी कवोयपरिणामा सगणिपोसपिठंतरोरुपरिणया पउमप्पलसरिसगं. धुस्साससुरभिवयणा अणुलोमवाउवेगा अवदायणिद्धकाला विग्गहियउण्णय. कुच्छी अमयरसफलाहारा तिगाउयसमसिया तिपलिओवमट्रिइया तिण्णि य पलिओवमाइं परमाउं पालयित्ता तेवि उवणमति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं / पमयावि य तेसि होंति सोम्मा सुजायसव्वंगसंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जत्ता अइकंत-विसप्पमाण मउयसुकुमाल-कुम्मसंठियसिलिट्ठचलणा उज्जमउयपीवरसुसाहतंगुलीओ अब्भुण्णयरइयतलिणतंबसुइणिद्धणखा रोमरहि. यवट्टसंठियअजहण्णपसत्थलक्खणअकोप्पजंघजयला सुणिम्मियसुणिगढजाण. मंसलपसत्थसुबद्धसंघी कयलीखंमाइरेकसंठियणिव्वणसुकुमालमउयकोमलअविरलसमसहियसुजायवट्टपीवरणिरतंरोरू अट्ठावयवीइपटुसंठियपसत्थविच्छिण्णपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणियविसालमंसलसुबद्धजहणवरधारिणीओ वज्जविराइय-पसत्थलक्खणणिरोदरीओ तिवलिवलिय-तणुणमियमज्झियाआ उज्जयसमसहियजच्चतणुकसिणणिद्धआदेज्जलडहसुकुमालमउयसुविभत्तरोमराईओ गंगावत्तगपदाहिणावत्ततरंगभंगरविकिरणतरुणबोहियआकोसायंतपउम. गंभीरविगडणाभी अणन्भडपसत्थसुजायपीणकुच्छी सग्णयपासा सुजॉयपासा संगयपासा मियमायियपीणरइयपासा अकरंडुयकणगरुयगणिम्मलसुजायणिरुवहयगायलट्ठी कंचणकलसपमाणसमसहियलट्ठच्चयआमेलगजमलजुयलवट्टियरओहराओ भयंगअणुपुव्वतणुयगोपुच्छबट्टसमसहियणमियआदेज्जलडहबाहा तंब

Loading...

Page Navigation
1 ... 1393 1394 1395 1396 1397 1398 1399 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408 1409 1410 1411 1412 1413 1414 1415 1416 1417 1418 1419 1420 1421 1422 1423 1424 1425 1426 1427 1428 1429 1430 1431 1432 1433 1434 1435 1436 1437 1438 1439 1440 1441 1442 1443 1444 1445 1446 1447 1448 1449 1450 1451 1452 1453 1454 1455 1456 1457 1458 1459 1460 1461 1462 1463 1464 1465 1466 1467 1468 1469 1470 1471 1472 1473 1474 1475 1476