Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पण्हावागरणं सु. 1 अ. 5 1385 संभारो 6 संकरो 7 आयरो 8 पिंडोह दब्बसारो 10 तहा महिच्छा 11 पडिबंधो 12 लोहप्पा 13 महद्दी 14 उबकरणं 15 संरक्खणा य 16 भारो 17 संपाउप्पायको 18 कलिकरंडो 16 पवित्थरो 20 अणत्थो 21 संथवो 22 अगत्ती 23 आयासो 24 अविओगो 25 अमुत्ती 26 तण्हा 27 अणत्थको 28 आमत्ती 29 असंतोसो ति विय 30, तस्स एयाणि एवमाईणि णाम. धेज्जाणि होति तीसं // 18 // तं च पुण परिग्गहं ममाति लोभघत्था भवण. वरविमाणवासिणो परिग्गहरुई परिग्गहे विविहकरणबुद्धी देवणिकाया य असुर. भयगगरुलविज्जजलण-दीवउदहिदिसिपवणणिय-अणवंणिय पणवंणियइसिवा. इयमयवाइयकंदियमहाक दियकुहंडपयंगदेवा पिसायभयजक्ख रक्खसकिणकिपु. रिसमहोरगगंधवा य तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सईचंदसूरसुक्कसणिच्छरा राहधमके उबुधा य अंगारका य तत्ततवणिज्नकणयवण्णा जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य गइरईया अट्ठावीसइ विहा य मक्खत्त. देवगणा जाणासंठाणसंठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साममंडलगई उरिचरा उडलोगवासी दुविहा वेमाणिया य देवा सोहम्मीसाण. सणकुमारमाहिदबं भलोगलंतकमहासुक्क सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चया कप्पवरविमाणवासिणो सुरगणा गेवेज्जा अनुत्तरा दुविहा कप्पाईया विमाणवासी महिड्डिया उत्तमा सुरवरा एवं च ते चउम्विहा सपरिसावि देवा ममायंति भवणवाहणजाणविमाणसयणासणाणि य गाणाविहवत्थभूसणाणि य पवरपहरणाणि य णाणामणिपंचवणदिव्वं च भायणविहिं णाणाविहकामरूवे वेउब्विय. अच्छरगणसंघाते दीवसमुद्दे दिसाओ विदिसाओ चेइयाणि वणसंडे पव्यए य गामणगराणि य आरामुज्जाणकाणणाणि य कूवसरतलागवाविदीहियदेवकुंल. सभप्पववसहिमाइयाई बहुकाई कित्तणाणि य परिगेम्हित्ता परिग्गहं विपुलदव्व. सारं देवावि सईदगा ण तित्ति ण तुट्टि उवलभंति अच्चंतविउललोभाभिभूयसत्ता वासहरइक्खुगारवट्टपव्यय कुंडलरुयगवर माणुसोत्तर कालोदधिलवण-सलिलदहपहरइकर-अंजणकसेलदहिमहऽवपातुप्पाय-कंचणकचित्तविचित्तजमक-वरसिहरकडवासी वक्खारअकम्मभूमिसु सुविभत्तभागदेसासु कम्मममिसु, जेऽवि य गरा चाउरंतचक्कवट्टी वासुदेवा बलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावई इम्मा सेट्ठी रट्टिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माडंबिया सत्थवाहा कोडुबिया
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