Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पण्हावागरणं सु. 1 अ. 4 1379 यइंदकेउदप्पणअट्ठावयचावबाणणक्खत्तमेहमेहलवीणाजगछत्तदामदामिणि कमं. डलकमलघंटावरपोय-सूइसागर-कुमुदागर-मगरहारगागरणेउरणगणगरवइरकि. ज्णरमयूरवररायहंससारसचकोरचक्कवागमिहुणचामरखेडगपव्वीसगविपंचिव. रतालियंटसिरियाभिसेयमेइणि-खग्गंकुसविमलकलस-भिंगारवद्धमागग-पसत्थउत्तमविभत्तवरपुरिसलक्खणधरा बत्तीस वररायसहस्साणुजायमग्गा चउसटिसहस्सपवरजुवतीण-णयणकता रसामा पउमपम्ह कोरटगदाम-चंपकसुययवरकणाणहसवण्णा सुजायसव्वंगसुंदरंगा महग्घ-वरपट्टणुग्गय विचित्त. रागएगि पेणि-णिम्मिय दुगुल्लवरचीणपट्ट कोसेज्ज-सोणीसुत्तक विभूसियंगावरसुरभिगंध-वरचण्णवासवरकुसुमभरिय-सिरया कप्पिय-छयायरियसुकय रइ तमालकडगंगय-तुडिय-पवरभसण-पिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जमुद्दियापिंगलंगलिया उज्जलणेवत्थरइयचेल्लगवि. रायमाणा तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारयणवणियमहुरगंभीरणिद्धघोसा उप्पण्णसमत्तरयणचक्करयणप्पहाणा णवणिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरता चाउराहिं सेणाहि समजाइज्जमाणमग्गा तुरगवई गयवई रहवई गरवई विपुलकुलवीसुयजसा सारयससिसकल-सोमवयणा सूरा तेलोक्कणिग्गयपभावल. द्धसद्दा समत्तभरहाहिवा गरिदा ससेलवण-काणणं च हिमवत-सागरंतं धीरा भत्तण भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुवकडतवप्पभावा णिविसं. चियसुहा अणेगवाससयमायुवंतो मज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसहफरिसरसरूवगंधे य अणुभवेत्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं / भज्जो बलदेववासुदेवा य पवरपुरिसा महाबलपरक्कमा महाधणवियट्टका महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा णरवसमा रामकेसवा भायरो सपरिसा वसुदेवसमद्दविजयमाइयदसाराणं पज्जण्ण-पइव-संब-अणिरुद्ध-णिसहउम्मय-सारण गय.सुमह दुम्मुहाईण जायवाणं अद्धद्वाणवि कुमारकोडीण हियय. दइया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययमावणंदणकरा सोलसरायवरसहस्सागुंजायमग्गा सोलसदेवीसहस्सवरणयणहिययदइया णाणामणि. कणग-रयण-मोत्ति-यपवाल-धण-धण्णसंचय-रिद्धि-समिद्धकोसा हयगयरहसहस्स सामीगामागर-णगर-खेड-कब्बड-मडंब दोणमुह-पट्टणासम-संबाहसहस्सथिमियणि. व्वयपमुइयजण-विविहसास-णिप्फज्जमाणमेइणि-सरस-रिय-तलाग सेल-काणण
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