Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पण्हावागरणं सु. 1 अ. 2 1369 मयणसाल-कोइल-हंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं वधबंधजायणं च साहिति गोम्मियाणं धणधण्णगवेलए य साहिति तक्कराणं गामागरणगरपट्टणे य साहिति चारियाणं पारघाइय-पंथघाइयाओ साहिति य गठिभेयागं कयं च चोरियं जगर. गोत्तियाणं लंछणणिल्लंछणधमणद्हणपोसणवणणदवणवाहणाइयाइं साहिति बहूणि गोमियाणं धातुमणिसिलप्पवाल रयणागरे य साहिति आगरीणं पुप्फविहि फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्घमहुकोसए य साहिति वणचराणं जताई विसाई मलकम्मं आहेवण-आविधण-आभिओग-मंतोसहिप्पओगे चोरियपरदार. गमणबहुपावकम्मकरणं उक्खंधे गामघाइयाओ वणदहणतलागभेयणाणि बुद्धि विसविणासणाणि वसीकरणमाइयाइं भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भावबहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूयघाओवघाइयाइं सच्चाईपि ताई हिंसगाई वयणाई उदाहरति / पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उवदिसंति सहसा उठा गोणा गवया दमंतु परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलग-कुक्कुडा य किज्जतु किणावेध य विक्केह पयह य सयणस्स देह पियय दासि-दास-भयक-भाइल्लका य सिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा य किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति ? भारिया भे करित्त कम्मं गहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवल्लराई उत्तणघणसंकडाइं डझंतु-सूडिज्जंतु य रुक्खा मिज्जंतु जंतमंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुज्जतु पोलिज्जंतु य तिला पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्टयाए खेत्ताई कसह कसावेह य लहुं गाम-आगर-णगर-खेडकब्बडे णिवेसेह अडवीदेसेसु विउलसीमे पुप्फाणि य फलाणि य कंदमलाई कालपत्ताई गेण्हेह करेह संचयं परिजणट्टयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्पणिज्जतु य लहुं च पविसंतु य कोट्ठागारं अप्पमहउक्कोसगा य हमंतु पोयसस्था सेणा णिज्जाउ जाउ डमरं घोरा वटुंतु य संगामा पवहंतु य सगडवाहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जण्णो अमुगम्मि उ होउ दिवसेसु करणेसु महुत्तेसु णक्खत्तेसु तिहिसु य अज्ज होउ ण्हवणं मुइयं बहुखज्जपिज्जकलियं कोतुकं विण्हावणकं संतिकम्माणि कुणह ससि-रवि-गहोवरागविसमेसु सज्जणपरियणस्स य णियकस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्टयाए पडिसीसकाई च देह दह य सीसोवहारे विविहोसहि-मज्ज-मंस-भक्खण्ण-पाणमल्लाण.
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