Book Title: Angpavittha Suttani
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
________________ पण्हावागरणं सु.१ अ. 3 1371 तइयं अज्झयणं जंबू ! तइयं च अदिण्णादाणं हरदहमरण भयकलसतासणपरसंतिगऽमेज्ज. लोभमूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिण्णतण्हपत्थाणपत्थोइमइयं अकित्तिकरणं अणज्ज छिद्दमंतरविधरवसणमग्गणउस्सवमत्तप्पमत्तपसुत्तवंचणक्खिवणघायणपराणिहुयपरिणामतकरजणबहुमयं अकलुणं रायपुरिसरक्खियं सया साहुगरह. णिज्जं पियजणमित्तजणभेयविप्पीइकारकं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूरसमर. संगामडमरकलिकलहवेहकरणं दुग्गइ विणिवायवड्डणं भवपुणब्भवकरं चिरपरि. चियमणुगयं दुरंतं / तइयं अधम्मदारं // 9 // तस्स य णामाणि गोण्णाणि होति तीसं, तंजहा-चोरिक्कं 1 परहडं 2 अदत्तं 3 करिकडं 4 परलाभो 5 असंजमो 6 परधणंमि गेही 7 लोलिक्कं 8 तक्करतणं ति य ह अव. हारो 10 हत्थलहुत्तणं 11 पावकम्मकरणं 12 तेणियक 13 हरणविप्प. णासो 14 आदियणा 15 लुंपणा धणाणं 16 अप्पच्चओ 17 अवीलो 18 अक्खेवो 16 खेवो 20 विक्खेवो 21 कडया 22 कुलमसी य 23 कंखा 24 लालप्पणपत्थणा य 25 आससणाय वसणं 26 इच्छामुच्छा य 27 ताहा. गेहि 28 णियडिकम्म 26 अपरच्छंति 30 विय तस्स एयाणि एवमाईणि णाम. धेज्जाणि होति तीसं अदिण्णादाणस्स पावकलिकलुसकम्मबहुलस्स अणेगाई // 10 // तं पुण करेंति चोरियं तक्करा परदव्वहरा छेया कयकरणलढलक्खा साहसिया लहुस्सगा अइमहिच्छलोभगच्छा दद्दरओवीलका य गेहिया अहिमरा अणभंजकभग्गसंधिया रायट्टकारी य विसणिच्छढलोकबन्झा उहो. हकगामघायगपुरघायगपंथघायगआलीवगतित्थ भेया लहहत्थसंपउत्ता जइकरा खंडरक्खत्थीचोरपुरिसचोरसंधिच्छेया य गंथिभेयगपरधणहरणलोमावहार. अक्खेवी हडकारका णिम्मद्गगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोरा य एक. चोरा ओकट्टक-संपदायक-उच्छिपक सत्यघायक-बिल (चोरी)कोलीकारका य णिग्गाहविप्पलुंपगा बहुविहतेणिक्कहरणबुद्धी, एए अण्णे य एवमाई परस्त दत्वाहि जे अविरया। विउलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणंमि गिद्धा सए व दवे असंतुट्ठा परविसए अहिहणंति ते लुद्धा परधणस्स कज्जे चउरंग (सम)विभत्तबलसमग्गा णिच्छियवरजोहज़द्धसद्धियअहमहमिइदप्पिएहिं सेण्णेहि संप.
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