________________
100
अनेकान्त-58/1-2
गौरी द्वारा भारत विजय के साथ साथ भारतीय इतिहास का प्राचीन युग समाप्त हो जाता है
I
भारतवर्ष के अधिकांश इतिहास-ग्रन्थों का यही ढाचा है। इसका श्रीगणेश 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में एलफिन्सटन आदि पाश्चात्य विद्वानों ने किया था और उनका अनुकरण भारतीय विद्वान् आज तक करते आ रहे हैं ।
किन्तु 20वीं शताब्दी के विकसित ज्ञान, बढ़े हुए अध्ययन तथा नवीन खोजों के आधार पर इस ढांचे में बहुत कुछ हेर फेर हुआ है । प्रागैतिहासिक काल के विशेषज्ञों का मत है कि भारतवर्ष में मनुष्य का अस्तित्व अन्य देशों की अपेक्षा सबसे पहिले से पाया जाता है।' आर्यों के भारत प्रवेश से पूर्व कम से कम एक हजार वर्ष पूर्व द्राविड़ जाति पढ़ौसी देशों से आकर इस देश में बसी थी और द्राविड़ों के आने से भी पहिले मानव, यक्ष, ऋक्ष, नाग, विद्याधर आदि मनुष्य जातियां इस देश में बसी हुई थीं। उनकी उन्नत नागरिक सभ्यता तथा सुविकसित धार्मिक विचारों के निर्देश हड़प्पा, मोहनजोदडो प्रभृति पुरातत्व तथा प्राचीन भारतीय अनुश्रुति में पर्याप्त मिलते हैं ।
ईस्वी पूर्व तीन से चार हजार वर्षो के बीच आर्य लोगों ने पश्चिमोत्तर प्रान्तों से भारत में प्रवेश किया। यहां बसने के लगभग एक हजार वर्ष बाद वेदों की रचना की, उसके कुछ समय बाद रामायण वर्णित घटनायें घटीं, और सन् ईस्वी पूर्व 1500 के लगभग प्रसिद्ध महाभारत युद्ध हुआ । यह युद्ध वैदिक सभ्यता और वैदिक आर्य - राज्यसत्ताओं के हास का सूचक था।
भारतवर्ष के नियमित इतिहास का, उसके प्राचीन युग का वास्तविक प्रारंभ महाभारत युद्ध के उपरान्त हो जाता है । ' युधिष्ठर वंशजों का इतिहास, उत्तर वैदिक साहित्य का निर्माण, ब्रह्मवादी जन की उपनिषद विचारधारा, सोलह महजन पदों का उदय और परस्पर द्वन्द, अन्त में मगध की विजय, हमें बुद्धजन्म के समय तक पहुँचा देती है। इससे आगे का इतिहास पूर्ववत् चलता है I
इस प्रकार ईस्वी पूर्व 1400 से सन् ईस्वी 1200 तक का लगभग 2600 वर्ष का लम्बा काल भारतीय इतिहास का प्राचीन युग माना जाता है । अनेक