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सदैव से वैसी ही रही होगी युक्तियुक्त नहीं है । महात्मा ईसा के पश्चात् भी कई सौ वर्ष पर्यन्त क्या युरोप में इसाइयों की वहीं अवस्था थी जो आज है ? हजरत महम्मद के बहुत पीछे तक क्या मुसलमानों की संख्या और प्रभुत्व उतना था, जितना कि पीछे हो गया?
विद्याधर, ऋक्ष, यक्ष, नाग आदि वह अनार्य जातियां जिनकी उच्च नागरिक सभ्यता ने नवागत वैदिक आर्यो को चकाचौंध कर दिया था आज कहां हैं? मोहनजोदड़ो सभ्यता के संरक्षकों का क्या आज कहीं कोई अस्तित्त्व है?
अनेकान्त-58/1-2
अस्तु, भारतवर्ष के इतिहास का प्राचीनयुग, कम से कम उसका बहुभाग जैन संस्कृति की प्रधानता एवं प्रभुत्व का युग था, राजा प्रजा अधिकांश देशवासी जैनधर्मानुयायी थे । सभ्यता के विविध अङ्गों की पुष्टि और वृद्धि विविधवर्गीय जैनों ने उस युग में की थी। उस युग में लगी जैन संस्कृति की भारतीय समाज पर अमिट छाप आज भी लक्षित की जा सकती है। भारतीय सभ्यता को ही नहीं विश्व सभ्यता को उस युग में जैन संस्कृति ने अमूल्य भेंट प्रदान की है । उस युग में निर्मित विविध विषयक जैन साहित्य तथा कलात्मक रचनाएँ भारत की राष्ट्रीय निधि के अमूल्य रत्न हैं ।
अतः वह युग यदि किसी सांस्कृतिक नाम से पुकारा जा सकता है तो वह जैन संस्कृति के नाम से ही । भारतीय इतिहास का वह लगभग 2000 वर्ष का युग सच्चा यथार्थ जैनयुग था, न बौद्ध न हिन्दु ।
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सन्दर्भ
Pre-Historic India PC Mitra, P 106, 2 Pargitor - Anci altIndian Historical tradition, Dr K. P Jayaswal, handarkar & c.
Studies in South Indian Jainism Pt. IP 12, by MS Rama Swami Ayangar & B Sheshagiri Rao & Introto Heart of Jainism P XIV - Mrs Sinclair
भारतीय इतिहास की रूपरेखा पृ 286 जयचन्द विद्या तथा A Political History of Ancient India P. 16-Dr H Ray Choudhry.
4 Political History of Ancient India P 47-Dr. HC Raychoudhry