Book Title: Anekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 273
________________ गोम्मट-मूर्ति की कुण्डली -ज्योतिषाचार्य गोविन्द पै 'श्रवणबेलगोल' के गोम्मट स्वामी की मूर्ति की स्थापना तिथि 13 मार्च, सन् 981 मानी गई है। वस्तुतः सम्भव है कि यह तिथि ही मूर्ति की स्थापना-तिथि हो, क्योंकि भारतीय ज्योतिष के अनुसार 'बाहुबलि चरित्र' में गोम्मट-मूर्ति की स्थापना की जो तिथि, नक्षत्र, लग्न, संवत्सर आदि दिये गये हैं, वे उस तिथि में अर्थात् 13 मार्च, 981 में ठीक घटित होते हैं। अतएव इस प्रस्तुत लेख में उसी तिथि और लग्न के अनुसार उस समय के ग्रह स्पष्ट करके लग्न-कुण्डली तथा चन्द्रकुण्डली दी जाती है और उस लग्न-कुण्डली का फल भी लिखा जाता है। उस समय का पञ्चांग विवरण इस प्रकार है श्रीविक्रम स. 1038 शकाब्द 903 चैत्र शुक्ल पचमी रविवार घटी 56, पल 58, रोहिणी नाम नक्षत्र, 22 घटी, 15 पल, तदुपरान्त प्रतिष्ठा के समय मृगशिर नक्षत्र 25 घटी 49 पल, आयुष्मान योग 34 घटी, 46 पल इसके बाद प्रतिष्ठा समय में सौभाग्य योग 21 घटी, 49 पल। उस समय की लग्न स्पष्ट 10 राशि, 26 अंश 39 कला और 57 विकला रही होगी। उसकी षड्वर्ग-शुद्धि इस प्रकार है 10/26/39/57 लग्न स्पष्ट-इस लग्न में गृह शनि का हुआ और नवांश स्थिर लग्न अर्थात् वृश्चिक का आठवां है, इसका स्वामी मंगल है। अतएव मंगल का नवांश हुआ। द्रेष्काण तृतीय तुलाराशि का हुआ जिसका स्वामी शुक्र है। त्रिशांश विषम राशि कुम्भ में चतुर्थ बुध का हुआ और द्वादशांश ग्यारहवां धनराशि का हुआ जिसका स्वामी गुरु है। इसलिय यह षड्वर्ग बना

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