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अनेकान्त 58/3-4
A.D.)। कन्नड़ में 'बेल' और 'गोल' शब्दों का अर्थ है 'श्वेत सरोवर' अथवा 'धवल सरोवर ।। नगर के मध्य का कल्याणी तालाब मूल 'श्वेत सरोवर' की जगह स्थित माना जाता है। इस शिलालेख में केवल 'बेलगोल' शब्द का उल्लेख है 'श्रवणबेलगोल' का नहीं अतः नगर का नाम 'श्रवणबेलगोल' अवश्य ही श्रमण भगवान् बाहुबली की प्रतिमा की स्थापना के बाद ही प्रसिद्ध हुआ है।
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मूर्ति का नाम गोमटेश्वर क्यों?
कुछ विद्वानों का मत है कि 'गोमट' चामुण्डराय का प्यार का नाम था। यहाँ तक की आचार्य श्री नेमिचन्द्र चामुण्डराय की जिनेन्द्र भक्ति से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपने द्वारा रचित पाँच सिद्धान्त ग्रंथों में से दो 'कर्मकाण्ड' और 'जीवकाण्ड' का नाम मिलाकर 'गोमटसार' रख दिया था। जब चामुण्डराय द्वारा बाहुबली की प्रतिमा का निर्माण कराया गया तो लोगों ने उन्हें गोमटेश्वर अर्थात् गोमट (चामुण्डराय) के ईश्वर, गोम्मट के भगवान के नाम से पुकारना प्रारम्भ कर दिया। अतः इनका नाम गोमटनाथ, गोम्मट स्वामी, गोम्मट जिन व गोम्मटेश्वर प्रसिद्ध हो गया। डॉ. ए. उन उपाध्याय का मत है कि 'गोम्मट' शब्द का प्राकृत और संस्कृत से कुछ लेना देना नहीं है। यह स्थानीय भाषा का शब्द है जो कन्नड़, तेलगू, कोंकणी तथा मराठी भाषा में मिलता है जिसका अर्थ होता है 'श्रेष्ठ', 'उत्कृष्ठ', 'अच्छा', 'सुन्दर', 'उपकारी'। उनके अनुसार यह चामुण्डराय के संदर्भ में ही प्रयोग हुआ लगता है।
उपरोक्त मत निम्न कारणों से तर्क संगत प्रतीत नहीं होता। (a) इस मूर्ति की स्थापना के पूर्व और पश्चात् भी दक्षिण में गोम्मटेश्वर
की विशालकाय मूर्तियाँ निर्मित हुई-ई.सन् 650 में वीजापुर के बादामी में; मैसूर के समीप गोम्मट गिरी में 18 फीट ऊँची 14वीं सदी में; होसकोटे हलल्ली में 14 फीट ऊँची; कारकल में सन् 1432