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१०८ : अनिन्द प्रवचन : भाग १२
छूती हुई मोटर डोलती जा रही थी । ड्राइवर का हाथ स्टेरिंग पर तो थी, लेकिन वह अस्वाभाविक घुमाव देता जा रहा था । जो यात्री जाग रहे थे, उन्हें सन्देह हुआ। दो यात्रियों ने ड्राइवर को सचेत किया - "ड्राइवर साहब ! ड्राइवर साहब ! गाड़ी धीरे करो, रोको गाड़ी ।" पर वहाँ सुनने वाला अपने होश में न था । एक शक्तिशाली आदमी ने सवारियों की जान खतरे में समझकर ड्राइवर के निकट जाकर कड़कती हुई आवाज में कहा - " ड्राइवर ! गाड़ी रोको । सामने देखो, सबके प्राण खतरे में डालोगे क्या ?" इस आवाज से ड्राइवर चौंका । बड़ी तेजी से उसने मोटर के ब्र ेक लगाया, जिससे मोटर चींचीं करती हुई घिसटने लगी, सवारियों के सिर आपस में टकराए। साथ ही आक्ट्राय नाके पर गाड़ा हुआ लोहे का डंडा एकदम उखड़ गया । वहाँ खड़े बैलों और गाड़ीवानों को जख्मी कर दिया, दो तो खत्म ही हो गये । ड्राइवर शराब की बोतल में उतर चुका था । उसके सुनने वाले कान कुछ भी संवेदन करने से जवाब दे चुके थे। शराब के नशे ने उसकी समझने की शक्ति ही खो दी थी । मद्यपान की चार दशाएँ
शराब पीने के बाद मनुष्य की कैसी-कैसी दशाएँ हो जाती हैं, इसे शरीर - विज्ञान की भाषा में सुनेंगे तो आपको आश्चर्य होगा
( १ ) शराब पीते ही व्यक्ति खुद को अत्यन्त प्रसन्न महसूस करता है । उसे ऐसा प्रतीत होता है, मानो वह धरती से ऊपर उठा जा रहा है । उसकी सामान्य बुद्धि का ह्रास हो जाता है । वह मन पर नियंत्रण खो बैठता है । जननेन्द्रिय में विकार आ जाता है । वह बिना सोचे- विचारे काम दुर्दशा हो जाती है कि दियासलाई जलाना और हो जाता है ।
करने लगता है । उसकी इतनी स्थिर खड़ा रहना भी कठिन
(२) नशे की दूसरी अवस्था में आदमी को चलने या कपड़े बदलने आदि में दूसरे की सहायता की जरूरत पड़ती है । वह बात-बात में क्रोधी एवं चिड़चिड़ा हो जाता है । कभी खिलखिलाकर हँसने लगता है, कभी बड़बड़ाता है । उसे ध्यान नहीं रहता कि वह किससे क्या बात कर रहा है ?
(३) नशे की तीसरी अवस्था में शराबी बेहोशी की-सी हालत में रहने लगता है, उसकी साँस तेज चलने लगती है, उससे ठीक प्रकार से बोला भी नहीं जाता । जो उसे सहारा देकर खड़ा करता है, वह उसी पर औंधा गिर जाता है ।
(४) और फिर अन्तिम स्थिति आ जाती है, जबकि पुंज हो जाता है, बेभान - सी हालत में रहने लगता है । उसे महसूस होता है । उसे अपनी परलोक यात्रा का अंदेशा होने लगता है ।
मद्य का परिचय -
शराबी का शरीर लुंज
श्वास लेने में भी कष्ट
मद्य का वास्तविक परिचय देते हुए एक विद्वान कहते हैं
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