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चोरी में आसक्ति से शरीरनाश ; १६३
और कभी सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तुएँ लाता । राधा ने पूछा कि "ये सब वस्तुएँ कहाँ से आती हैं ?” पहले तो उसने आनाकानी करते हुए कहा - " तुझे क्या मतलब है इससे ? तुझे आम खाने हैं कि पेड़ गिनने ?” किन्तु वह स्वार्थी पत्नी नहीं थी, पति का जीवन कुमार्ग पर न चला जाए इस बात की वह बहुत सावधानी रखती थी, इसलिए उसने जोर देकर कहा - " मैं आपकी अर्धांगिनी हूँ । मुझ से आप छिपाते " बात यह है कि मैं कमाता तो हूँ नहीं । ऐसे ही कहीं हाथ मेहनत और सिफ्त से हाथ लग जाता है, उसी से ये
धन
क्यों हैं ?" हेमू ने कहा आता हूँ । थोड़ी-सी
सब चीजें ले आता हूँ ।"
राधा को सुनकर बहुत दुःख हुआ, उसने कहा- "मुझे ये चीजें नहीं चाहिए । आप इस चोरी को बन्द करो । मेहनत मजदूरी से जो कुछ मिलता है, उसी में हम परिवार का गुजारा चला लेंगे ।"
हेमू ने झुंझलाकर कहा - " और जो चाहो, बन्द कर सकता हूँ । चोरी मुझ से बन्द न होगी । परिवार का इतना खर्च थोड़ी-सी आमदनी से कैसे चल सकता है ? सबसे आसान और लाभदायक धंधा है यह !"
राधा के बार-बार कहने पर भी हेमू ने चोरी नहीं छोड़ी। एक बार एक बड़ी चोरी के अपराध में हेमू पकड़ा गया । ६ महीने के कठोर कारावास की सजा मिली। इस बीच राधा हेमू से ३-४ बार मिल भी आई, उसने चोरी छोड़ने की बार-बार प्रार्थना भी की, लेकिन दुर्व्यसनी एवं हठी हेमू ने उसकी एक न मानी । कठोर कारावास से हेमू का शरीर सिर्फ हड्डियों का ढाँचा रह गया । जेल से छूटकर वह जीर्ण एवं जर्जर शरीर लिए घर पाया ।
कुछ दिन बाद एक दिन राधा ने हेमू से साफ-साफ कह दिया - "देखिये, अब आप चोरी का बिलकुल त्याग कर दीजिए । मुझे पड़ौसी लोगों के ताने सुन-सुनकर शर्मिन्दा होना पड़ता है । कहीं किसी के हृदय की आह लग गई तो हमारा सर्वनाश हो जाएगा । इसलिए मैं साफ कह देती हूँ, अगर आपने यह धन्धा नहीं छोड़ा तो मैं अपने बेटे - जीवन को लेकर अपने मैंके चली जाऊँगी।" इस पर भी हेमू अपनी जिद पर अड़ा रहा । उसने चोरी का त्याग करने से साफ राधा अपने बेटे को लेकर अपने मैके चलो गई । हेमू को रह-रहकर अपनी पत्नी और अपने प्रिय पुत्र की याद सताती थी, पर चोरी का कुव्यसन उसको चैन से नहीं बैठने देता था । फिर भी पत्नी - पुत्र के प्र ेम ने उसे प्रेरित किया उन्हें ने आने को । अतः वह अपनी ससुराल पहुँचा, अपने पुत्र की सौगन्ध खाकर उसने चोरी का त्याग कर दिया और बहुत कठिनाई से राधा को मनाकर घर लाया ।
इन्कार कर दिया । अतः
घर आए कुछ ही दिन हुए थे कि हेमू के पुराने साथी उसे उकसाने लगे, चोरी के लिए । हेमू उनसे इन्कार करता रहा कि उसने कसम खा ली है । किन्तु एक दिन रात को उसके साथी ने कहा - " धनीराम के यहाँ आज लड़की की शादी है,
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