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अहिंसा और ध्यान
२.१
पर सफलता नहीं मिलती । निराश हो जाता है, चारों ओर से निराश हो जाता है | निराश व्यक्ति कभी-कभी अपनी हिंसा की बात भी सोच लेता है । - बहुत सारी आत्म-हत्याएं अवसाद के कारण होती हैं । अवसाद जो तनाव पैदा करता है, उसमें मरने के सिवाय कुछ भी नहीं सूझता । कभी ऊपर से छलांग लगायी और मर गया, कभी जहर की गोलियां खाईं और मर गया, कभी रेल के सामने लेट गया और मर गया। ये सारी हिंसा की बातें अवसादजनित तनाव के कारण आती हैं ।
तनावमुक्ति का उपाय : ध्यान
ये दोनों प्रकार के तनाव - आवेशजन्य तनाव और अवसादजन्य तनाव मनुष्य को हिंसा की ओर ले जाते हैं । अब इस बिन्दु पर पहुंच कर हम ध्यान और अहिंसा की बात पर विचार करें। तनाव को मिटाने का सबसे शक्तिशाली साधन है ध्यान | ये जितने तनाव पैदा होते हैं, चाहे मांसपेशियों के तनाव हों, चाहे मानसिक हों या भावनात्मक हों और चाहे अवसादजन्य हों, उन्हें मिटाने का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है ध्यान । ध्यान का मुख्य कार्य है व्यक्ति को तनाव से मुक्त करना । भावनात्मक तनाव को मिटाने के लिए ध्यान के सिवाय अन्य बड़ा कोई साधन नहीं है । ध्यान के साथ कायोत्सर्ग और अनुप्रेक्षा- ये सब उसके परिवार में हैं । ये सारे तनाव मुक्ति में काम आते हैं । ध्यान एक शक्तिशाली साधन है - तनाव मुक्ति का । इसलिए हिंसा की जड़ पर प्रहार करने का एक शक्तिशाली साधन है-ध्यान ।
तनाव आया, मांशपेशी में तनाव आया । कायोत्सर्ग किया और वह समाप्त | मानसिक तनाव आया, दस मिनट दीर्घश्वास प्रेक्षा का प्रयोग किया और तनाव समाप्त । इन्द्रिय-संयम मुद्रा का प्रयोग किया और मानसिक तनाव समाप्त | भावनात्मक तनाव आया और दीर्घश्वास प्रेक्षा का प्रयोग किया, ज्योति केन्द्र पर ध्यान किया और भावनात्मक तनाव समाप्त । अनित्य और . एकत्व अनुप्रेक्षा का प्रयोग किया और तनाव समाप्त । तनाव मुक्ति का सबसे बड़ा और शक्तिशाली माध्यम है ध्यान । तनावजनित जितनी हिंसाएं होती हैं
हिंसाओं को दूर करने का एक सफल प्रयोग हमारे सामने ध्यान होता है । ध्यान और अहिंसा का यह एक पहलू उनके संबंध का एक बिन्दु है । हिंसा और रसायन
हिंसा का दूसरा तत्त्व है - रासायनिक असंतुलन | हिंसा केवल बाहरी कारणों से ही नहीं होती, उसके भीतरी कारण भी हैं । हमारे भीतर भी हिंसा - का कारण है और वह है - रासायनिक असंतुलन | हमारी ग्रन्थियों में जो रसायन बनते हैं, उन रसायनों में जब असंतुलन पैदा हो जाता है तब व्यक्ति हिंसा पर उतारू हो जाता है । सभी अन्तःस्रावी ग्रंथियों का अपना-अपना
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