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हिंसा और आसन
४३ युद्ध पहले मस्तिष्क में
यह संतुलन अंतःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव-संतुलन से पैदा हो सकता है। उन पर हमारा नियंत्रण हो। उन्हें नियंत्रित करने में योगासनों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। एड्रीनल ग्लेण्ड उत्तेजना के लिए काफी काम करती है। उस पर नियंत्रण हो तो काफी संतुलन हो जाता है । शशांकासन एक आसन है । इसका प्रयोग करने से एड्रीनल पर नियंत्रण पाया जा सकता है। वह नियंत्रण को काफी संतुलित बना देता है। यदि प्रतिदिन इस आसन का प्रयोग किया जाए तो बहुत सारी वृत्तियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जितने निषेधात्मक भाव और जितनी मूर्छा की प्रकृतियां हैं उनको प्रगट करने का काम एड्रीनल ग्लेण्ड के आसपास होता है । वह उनकी अभिव्यक्ति का माध्यम बनता है। अगर उस पर हमारा नियंत्रण होता है तो व्यक्ति बहुत शांत और संतुलित बन जाएगा, उतावलापन नहीं होगा, कोई अधीरता नहीं होगी, जल्दीबाजी में काम नहीं होगा। आज के युग की विशेषता है उतावलापन, अधीरता और जल्दबाजी । उस जल्दबाजी के कारण आदमी कभी क्रोध में चला जाता है, कभी अहंकार में चला जाता है और कभी-कभी दूसरी निषेधात्मक प्रवृत्तियों में चला जाता है । यदि हमारा एड्रीनल ग्लेण्ड पर नियंत्रण होता है तो हिंसात्मक दृष्टियां कम होती हैं, हिंसात्मक उत्तेजनाएं कम हो जाती हैं। क्या हिंसा घटना के आधार पर होती है ? कुछ लोग कहते हैं कि इतनी छोटी-सी बात थी और इतना बतंगड बन गया, पहाड़ बन गया। यह तो स्वभाव है हिंसा का।
सारे संसार के इतिहास में जितने भी कि बड़े-बड़े युद्ध हुए हैं, वे कोई बड़ी बात को लेकर नहीं हुए। छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर महायुद्ध और विश्वयुद्ध हुए हैं। दो विश्व युद्ध हो गए। इनके पीछे कौन-सी बड़ी घटना थी? प्राचीनकाल में हजारों-हजारों वर्षों में, अनेक बड़े-बड़े युद्ध हुए हैं । कोई बड़ी बात नहीं, छोटी बात के आधार पर बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई। बड़ी बात इतनी साफ होती है कि उसके लिए लड़ने की कोई जरूरत ही नहीं होती। बड़ी बात की लड़ाई तुरन्त समाप्त हो जाती है। पर कोमा की लड़ाई, अर्द्ध-विराम की लड़ाई बड़ी खतरनाक होती है। उसमें बड़ा विवाद होता है कि कोमा वहां लगनी चाहिए या यहां ? कहां लगनी चाहिए इसका निर्णय करना कठिन हो जाता है। विराम-फूलस्टोप देने में कोई कठिनाई नहीं है, बात समाप्त हुई और वहां विराम हो गया। छोटी बात पर बड़ा विवाद हो जाता है। लड़ाई के लिए घटना की जरूरत नहीं। लड़ाई पैदा होती है मस्तिष्क में और लड़ाई का अंत होता है मस्तिष्क में। संयुक्त संघ राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह वाक्य उद्धृत किया गया कि युद्ध पहले मस्तिष्क में होता है। फर
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