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सामाजिक जीवन की समस्या और सह-अस्तित्व
रूप देने के लिए इस धारणा की व्यापक प्रतिष्ठा आवश्यक है। सब जीव समान हैं—यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण है किन्तु इसे एक बार छोड़ भी दें। सब मनुष्य समान हैं --उनमें कोई शाब्दिक या मौलिक अन्तर नहीं है । यदि इस भावना को पुष्ट बनाया जाए तो सह अस्तित्व को एक व्यावहारिक रूप मिल सकता है। यदि यह भावना पुष्ट नहीं बनी तो जातिवाद की समस्या, रंगभेद की समस्या और संप्रदायवाद की समस्या हमेशा प्रस्तुत रहेगी और सहअस्तित्व का सिद्धांत व्यवहार के स्तर पर फलित नहीं हो सकेगा। भाषाई आधार पर प्रान्तों का बंटवारा : एक बड़ी भूल
__ प्रश्न हो सकता है कि क्या यह असंभव है ? क्या इस भावना की व्यक्ति-व्यक्ति के दिमाग में प्रतिष्ठा हो सकती है ? प्रशिक्षण के द्वारा इस कार्य को संभव बनाया जा सकता है। ऐसा लगता है-अतीत में भेद को ज्यादा मूल्य दिया गया और उसकी परिणति बिखराव में हुई। बंटवारे की बात को मूल्य अधिक मिला, एकता की बात गौण हो गई । जाति के आधार पर, भाषा के आधार पर और सम्प्रदाय के आधार पर विभाजन को बल मिला। भाषाई आधार पर प्रान्तों का निर्माण कर हिन्दुस्तान ने सबसे बड़ी भूल की। इन भाषाई बंटवारे ने समस्या को जन्म दिया है । यदि भाषाई आधार पर प्रान्तों का निर्माण नहीं होता तो बहुत सारे झगड़े नहीं होते । जातीयता के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हिन्दुस्तान की एक बड़ी भूल है। यदि जातीयता के आधार पर आरक्षण की बात नहीं होती तो बहुत सारी समस्याएं नहीं उलझतीं। भेद : अभेद
भेद हमारी उपयोगिता है-इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता। कोई भी आदमी रोटी खाएगा तो तोड़-तोड़कर खाएगा। एक साथ नहीं खाएगा। यदि एक साथ खाएगा तो उसे ग्रामीण कहा जाएगा। वह सभ्य नहीं कहलाएगा। उपयोगिता के लिए तोड़ना जरूरी है। आकाश अंखड है। एक मकान बना, आकाश विभक्त हो गया। मकान बनाने का अर्थ है-आकाश को तोड़ देना, बांट देना। जहा कहीं छत बनी, आकाश बंट गया। तर्कशास्त्र के बहु प्रचलित शब्द हैं घटाकाश, पटाकाश । ये भेद हमारी उपयोगिता से निर्मित हुए हैं। किन्तु हमने भेद को अधिक प्रधानता दी और अभेद को बिलकुल भुला दिया। अनेकान्त ने कहा—जब भेद को प्रधानता दो तो अभेद को गौण कर दो। जब अभेद को प्रधानता दो तो भेद को गौण कर दो। भेद और अभेद को भुलाओ मत । दोनों आंखें बराबर खुली रहें, भेद और अभेद-दोनों का दर्शन एक साथ चलता रहे । अगर यह अनेकान्त का सामूहिक दर्शन चलता है तो समन्वय का दृष्टिकोण पनपता है, सह-अस्तित्व को बल मिलता है।
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