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अहिंसा के अछूते पहलु
ने कहा- जो धर्म है, वह मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की व्याख्या है । आधुनिक भाषा में मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य और प्राचीन भाषा में धर्म – दोनों में कोई अन्तर नहीं लगता । जितने धर्म के सूत्र हैं, वे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के सूत्र हैं । लक्षण मानसिक स्वास्थ्य का
मानसिक स्वास्थ्य का एक लक्षण है— जो व्यक्ति अपने सुख के लिए दूसरों के दुःख का निमित्त नहीं बनता, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है | स्वयं सुखी रहना चाहता है और दूसरे को दुःख देना नहीं चाहता, वह मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करता है । दूसरे को सुख देना मानसिक स्वास्थ्य का लक्षण नहीं बनता । जो दुःख नहीं देता, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है । अपने आपको सुखी रखने के लिए यह अनिवार्य है कि व्यक्ति दूसरे को दुःखी
न बनाए ।
सामंजस्य परिस्थिति के साथ
मानसिक स्वास्थ्य का दूसरा लक्षण है— परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता । जो व्यक्ति परिस्थितियों के साथ सामंजस्य करना जानता है, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है । इस परिभाषा को जब व्यापक दृष्टि से देखने का प्रयत्न किया जाए तो एक नया प्रकाश उपलब्ध होता है । एक मुनि के लिए बाईस परीषहों का विधान किया गया । संख्या की दृष्टि से बाईस परीषह निर्दिष्ट हैं किन्तु ये बाईस सौ भी हो सकते हैं । परीषह का अर्थ है - परिस्थिति के साथ सामंजस्य स्थापित करना । भूख लग गई और खाने को नहीं है । इस अवस्था में आदमी तड़पने लग जाता है, त्राहि-त्राहि करने लग जाता है । कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो इस परिस्थिति को शांत भाव से झेल लेते हैं । एक दिन खाने को नहीं मिला, दो दिन नहीं मिला, चार दिन नहीं मिला फिर भी वे बिलकुल शांत एवं तटस्थ रहते हैं । जैसी परिस्थिति आती है, उसके साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं । वे व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होते हैं । जो व्यक्ति त्राहि-त्राहि करने लग जाता है, वह मानसिक दृष्टि से बीमार होता है ।
चिन्तन का कोण कैसा हो ?
षों को सहने का अर्थ है - कठिनाइयों को झेलने की क्षमता का होना, जो भी नई परिस्थिति आए, उसके साथ सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता का होना । अभी दो महीनों से भयंकर गर्मी पड़ रही थी । प्रतिदिन गर्म हवाएं और धूल भरी आंधियां चल रही थीं । सारा आकाश धूल से आच्छादित रहता । सूर्य का प्रकाश भी धूल के पीछे छिप जाता । एक मुनि के मन में आ सकता था -- कहां फंस गए। दिन भर आंधियों में जीना क्या जीना है |
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