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मानसिक स्वास्थ्य
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आपको कमजोर मानते हैं । ईश्वर भला करेगा, ऐसा करेगा, वैसा करेगा। मैं स्वयं कुछ भी नहीं कर सकता, वही होगा जो ईश्वर की मर्जी होगी। महावीर ने कहा- तुम अपने ईश्वर को जगाओ। ईश्वर तुमसे अलग नहीं है। तुम्हारे भीतर उतनी क्षमता है जितनी क्षमता महावीर में है । महावीर तुमसे अलग नहीं हैं। जैसे तुम हो, वैसे ही महावीर हैं। जैसे महावीर महावीर बने वैसे तुम भी महावीर बन सकते हो। यह आत्म-विश्वास पैदा हो जाए तो जीवन में एक नया प्रकाश मिल सकता है। 'मैं महावीर बन सकता हूं', यह आत्म-विश्वास शिक्षा के द्वारा मिल सकता है, अभ्यास के द्वारा उत्पन्न हो सकता है। व्यक्ति अपनी जांच स्वयं करे
__ मानसिक स्वास्थ्य का दूसरा उपाय है-सुझाव । वर्तमान मनोविज्ञान की भाषा में उसे सजेशन या ऑटो सजेशन कहा जाता है। स्वयं अनुप्रेक्षा का प्रयोग करना, ऑटो-सजेशन का प्रयोग करना या दूसरा व्यक्ति अनुप्रेक्षा का प्रयोग कराए, सुझाव दे- ये दोनों महत्त्वपूर्ण उपाय हैं । इनके प्रयोग से काफी परिवर्तन सम्भव है। इनसे मानसिक स्वास्थ्य के विकास को बहुत गति मिल सकती है।
हिंसा-अहिंसा, धर्म-अधर्म, शस्त्रीकरण-निःशस्त्रीकरण-इन संदर्भो में मानसिक स्वास्थ्य का यह संक्षिप्त विश्लेषण है। इस चर्चा का निष्कर्ष हैहर व्यक्ति अपनी जांच स्वयं करे। ऐसी प्रश्नावली तैयार हो, जिससे व्यक्ति अपने आपको जांच सकें, अपना परीक्षण कर सके । मानसिक दृष्टि से स्वास्थ्य और अस्वास्थ्य की परीक्षा कर सके। अध्यात्म में प्रवेश पाने वाले व्यक्तियों के लिए यह उपक्रम अत्यंत लाभदायक हो सकेगा। मानसिक स्वास्थ्य का जितना विकास होगा, उतना जनता का भी भला होगा, उनका स्वयं का भी भला होगा और अध्यात्म में प्रवेश पाते समय भी वे अध्यात्म का बहुत हित साध सकेंगे, स्व-पर कल्याण में अधिक हेतुभूत बन सकेंगे।
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