Book Title: Ahimsa ke Achut Pahlu
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 181
________________ *तिकता और व्यवहार १६७ सर्वत्र मांग की बात नहीं होनी चाहिए । धार्मिक क्षेत्र में भी यदि यह मांग होती है तो फिर धर्म-स्थल और बाजार में अंतर ही क्या रहेगा ? यदि ध्यान की बात इस उद्देश्य के साथ समझ में आए तो ध्यान नया प्रकाश और नई दिशा देने वाला होगा । ध्यान को दर्द मिटाने, बीमारी मिटाने तक ही सीमित न करें। उसके बड़े उद्देश्य को ध्यान में रखें। ध्यान का संकल्प याद करें - 'मैं चित्तशुद्धि के लिए ध्यान का प्रयोग कर रहा हूं' । यह आदर्श, लक्ष्य और अनुभव सचमुच ही नई दिशा का उद्घाटन करने वाला होगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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