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अहिंसा के अछूते पहलु मानसिक रोगी वह होता है, जिसे पागलखाने में भर्ती किया जाता है और एक प्रकार का मानसिक रोगी वह होता है जिसे पागलखाने में भर्ती नहीं किया जाता है। जो पागलखाने में भर्ती हो रहे हैं उनका बहुमत नहीं है। अल्पमत के साथ यही व्यवहार होता है। बहुमत उन्हें पागलखाने में भर्ती कर देता है । जो पागलखाने में भर्ती होने के योग्य नहीं माने जा रहे हैं, उसका कारण उनका बहुमत में होना है । मानसिक बीमार इतने ज्यादा हैं कि कौन किसको भर्ती करे और कौन किसकी चिकित्सा करे ? चिकित्सा करने वाला भी मानसिक दृष्टि से स्वयं बीमार है। बहुत बड़ा भाग विक्षिप्त है
कहा जाता है एक बार एक नगर में ऐसी हवा चली, सारे लोग 'पागल हो गए । पागलपन इतना गहराया कि उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार डाले, निर्वस्त्र हो गए। केवल दो व्यक्ति बचे-एक राजा और एक मंत्री। शेष सारे निर्वस्त्र और बेभान । राजा बड़ी मुसीबत में फंस गया। उसने मंत्री से कहा-चलो ! देखें ! क्या बात है ? किसी तरह समस्या को सुलझाएं। राजा और मंत्री बाजार में आए । दोनों अपनी राजसी पोषाकों में थे। उनके आस-पास भीड़ इकट्ठी हो गई। लोग चिल्लाने लगे-देखो! ये पागल आदमी आए हैं। इन्हें पकड़ो, मारो। सारे लोग राजा और मंत्री को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ें । वे उन्हें मारने के लिए कटिबद्ध हो गए। राजा ने मंत्री से कहा-अब क्या करें, कैसे निकलें ? मंत्री बोला---राजाजी ! खैरियत तो इसी में है कि हम भी कपड़े उतार कर इन जैसे बन जाएं। अन्यथा प्राणों का बचना भी मुश्किल ही होगा। इनका पागलपन जानलेवा भी बन सकता हैं। निरुपाय बने हुए राजा और मंत्री को अंततः पागलों जैसा ही बनना पड़ा। लोगों ने कहा-अब इनका पागलपन उतरा है।
एक बहुत बड़ा भाग पागल बन जाए, नंगा हो जाए और उन पागलों के बीच दो कपड़े वाले जाए तो क्या स्थिति बनती है, इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है । या तो वे टिक नहीं सकेंगे या उन्हें पागल बनना पड़ेगा। व्यापक रोग
मानसिक दृष्टि से यह दुनिया बहुत बीमार है। जो व्यक्ति शस्त्रों का निर्माण करता है, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ नहीं है। जो वैज्ञानिक शस्त्रों की खोज कर रहा है, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ नहीं है। जो राजनेता शस्त्रों का अंबार लगाकर राष्ट्र की सुरक्षा का प्रयत्न करता हैं, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ नहीं हैं । यह अस्वस्थता इसलिए है कि मानसिक दृष्टि से सब बीमार हैं, पागल बने हुए हैं। एक राष्ट्र बीमार बनता है तो दूसरे राष्ट्र को भी बीमार बनना पड़ता है और वह बन जाता है। यह बीमारी इतनी व्यापक
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