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१२. मानसिक स्वास्थ्य
हिंसा और स्वास्थ्य
हिंसा पहले भी थी, आज भी होती है और भविष्य भी ऐसा नहीं होगा कि जगत् हिंसा से बिल्कुल मुक्त हो जाए। प्रश्न है-हिंसा क्यों होती है ? मनुष्य मानसिक दृष्टि से स्वस्थ नहीं है, इसलिए हिंसा हो रही है। हिंसा का कारण है-मनुष्य का मानसिक दृष्टि से स्वस्थ न होना । स्वास्थ्य और अहिंसा एक भाषा में एकार्थक बन जाते हैं। स्वास्थ्य का अर्थ है- अहिंसा और अहिंसा का अर्थ है स्वास्थ्य । स्वास्थ्य को तीन भागों में बांटा जा सकता है - शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्वास्थ्य । भूख एक बीमारी है
शारीरिक अस्वास्थ्य हिंसा का एक कारण है। जो व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से अस्वस्थ होता है, बीमार होता है, वह हिंसा करता है। बहुत गहराई से समीक्षा करें तो निष्कर्ष होगा-जिसे भूख लगती है, वह बीमार है। भूख एक बीमारी है। संस्कृत शब्दकोश में भूख का अर्थ किया गया है-जठराग्नि की पीड़ा। जठर की अग्नि से होने वाली पीड़ा या बीमारी। सांख्य दर्शन ने भी भूख को बीमारी माना है। कुछ बीमारियां कभी-कभी होती हैं किंतु यह प्रतिदिन होने वाली बीमारी है। जो रोज बीमार होता है, बारह महीने ही बीमार रहता है, वह बीमार नहीं कहलाता। व्यक्ति उससे इतना परिचित हो जाता है कि उसे वह बीमारी प्रतीत ही नहीं होती। कभी-कभार जो वेदना होती है, उसे ही वह बीमारी मानता है। यह एक सचाई है कि जो आदमी भूख से पीड़ित है, वह अस्वस्थ है, बीमार है। उसे मिटाने के लिए वह हिंसा करता है । अगर आदमी पूरा स्वस्थ होता तो उसे हिंसा करने की आवश्यकता ही नहीं होती। जिसे भूख नहीं लगती, वह हिंसा नहीं करता। जिसे प्यास नहीं लगती, वह हिंसा नहीं करता। हिंसा करने का उसके सामने कोई प्रयोजन ही नहीं होता। हिंसा के कारणों की यह सूक्ष्म मीमांसा है, जो शरीर की आवश्यकताओं के साथ जुड़ी हुई है। हिंसा का कारण है-मानसिक अस्वास्थ्य
हिंसा का दूसरा कारण है-मानसिक अस्वास्थ्य । हिंसा वह व्यक्ति करता है जो मानसिक दृष्टि से बीमार है। यदि जगत् का सर्वेक्षण किया जाए तो दुनिया का बहुत बड़ा भाग मानसिक दृष्टि से बीमार मिलेगा। एक
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