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अहिंसा के अछूते पहलु
किया जाए, हीटर का प्रयोग किया जाए, अधिकाधिक गर्म कपड़े पहने जाएं, जिससे सर्दी न लगे । कहीं-कहीं सिगड़ी को गले में डालकर आदमी जीते हैं। इस दिशा में जाने वाले व्यक्ति का प्रयत्न होता है कि सर्दी कष्ट न दे, उससे सुरक्षा की जा सके, बचाव किया जा सके। गर्मी आए तो गर्मी न सताए । पंखा चले, वातानुकूलित मकान हो, कूलर हो, एयरकंडीशंड आफिस हो । वह सारी सुविधाएं जुटाना चाहता है, पाना चाहता है। ये सारे प्रयत्न मानसिक दृष्टि से बीमार होने के प्रयत्न हैं।
अध्यात्म के क्षेत्र में कहा गया - जो भी परिस्थिति आए, चाहे सर्दी आए, चाहे गर्मी आए । तुम अपनी क्षमता और योग्यता को इतना विकसित करो कि उसे झेल सको, सह सको। सर्दी को सहने की क्षमता बढ़े, गर्मी को सहने की क्षमता बढ़े- ऐसा प्रयत्न अपेक्षित है। उपाय पर ही निर्भर न हों
ये दोनों दृष्टिकोण हमारे सामने हैं। सामाजिक आदमी परिस्थिति को झेले ही, उसके लिए कोई उपाय न करे- यह संभव प्रतीत नहीं होता। किन्तु वह ऐसा उपाय न करे जो ज्यादा बाधक बन जाए, मानसिक बीमारी को बढ़ाने का निमित्त बन जाए। ऐसा उपाय भी हो रहा है। वह वांछनीय नहीं है । एक मार्ग है उपाय की खोज । किन्तु केवल उपाय पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए, अपनी शक्ति और क्षमता का विकास भी करना चाहिए, जिससे मानसिक बल बढ़े, मानसिक स्वास्थ्य बड़े । हमने अपनी सुख-सुविधा का पूरा इन्तजाम कर लिया। पंखा, कूलर, हीटर आदि सारे साधन हमारे पास हैं । यदि बिजली चली जाए तो क्या होगा । हम तड़फने लगेंगे। यदि हमारी मानसिक क्षमता विकसित है तो हम ऐसी विषम स्थिति में तड़फेंगे नहीं, हमारा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित नहीं होगा। जब बिजली चली जाती है, लोग बड़े बेहाल हो जाते हैं, छटपटाने लगते हैं। हमें ऐसी स्थिति का निर्माण करना है, जिससे कोई भी तात्कालिक समस्या हमारी बीमारी का कारण न बने, दुःख का कारण न बने । हम मानसिक दृष्टि से स्वस्थ रह सकें, हर स्थिति को झेल सकें। आत्म निरीक्षण : पहली कसौटी
जब मानसिक स्वास्थ्य विकसित होता है, व्यक्ति के भीतर कुछ परिवर्तन घटित होते हैं। वे परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण बन जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का पहला लक्षण है—आत्म-निरीक्षण की मनोवृत्ति का विकास । आदमी अपने आपको नहीं देखता और कोई गलती होती है तो उसे दूसरे पर आरोपित करने का प्रयत्न करता है। वह कहता है-उसने ऐसा कर दिया मैं क्या करूं ? ऐसी ही परिस्थिति थी। मुझे बाध्य होकर यह
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