________________
आर्थिक जीवन और सापेक्षता
की बात आती है, कम्यून की बात आती है, कार्य में व्यवधान आ जाता है । एक कार्य दस व्यक्तियों को करना है तो वह कार्य पूरा नहीं हो पाएगा। प्रत्येक व्यक्ति सोचेगा—यह कर लेगा, वह कर लेगा। कार्य अधूरा ही रह जाएगा। कम्यून का दोष
एक पौराणिक कहानी है । चक्रवर्ती के विमान को सोलह हजार देवता उठाकर ले जा रहे थे । एक ने सोचा-मैं अकेला छोड़ दूंगा तो क्या फर्क पड़ेगा । पन्द्रह हजार नौ सौ निन्यानवें शेष हैं । जब एक सोचता है तो दूसरा क्यों नहीं सोच सकता? दूसरे ने भी वैसा ही सोचा, तीसरे ने भी वैसा ही सोचा । सबने एक जैसी ही बात सोची और विमान को एक साथ छोड़ दिया। विमान नीचे समुद्र में जा गिरा।
यह समूहवाद का, कम्यून का एक दोष है ।
राजा ने आदेश दिया-नवनिर्मित तालाब को दूध से भरना है। प्रत्येक नागरिक इसमें एक-एक लोटा दूध डाले । एक व्यक्ति ने सोचाइतना बड़ा नगर है । इतने लोग दूध डालेंगे । दूध के लाखों लोटों से तालाब भर जाएगा। मेरा एक पानी का लोटा गिर जाएगा तो क्या पता चलेगा। पानी तो दूध में ऐसे ही मिलाया जाता है। प्रातःकाल हुआ। राजा और मंत्री इस आशा के साथ तालाब पहुंचे कि एक नई बात होगी, राज्य का तालाब दूध से भरा हुआ मिलेगा । पानी से भरा तालाब देख कर राजा निराश हो गया। एक व्यक्ति का विचार समग्र जनता से सक्रांत हो गया। तालाब में एक भी लोटा दूध का नहीं गिरा। वैयक्तिकता : व्यक्तिवाद
___ यह समूहवाद की समस्या है । व्यक्तिगत आकर्षण के बिना काम करने की प्रेरणा नहीं जागती। इसलिए वैयक्तिकता मूल्य भी हम कम नहीं कर सकते । एक ओर व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत प्रेरणा का प्रश्न है तो दूसरी ओर व्यक्तिवाद एक समस्या है। प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को ही भरना चाहता है । दूसरे की चिंता ही नहीं करता । इस व्यक्तिवाद के आधार पर शोषण को बढ़ावा मिलता है । दोनों ओर समस्या है। सापेक्ष स्वामित्व इस दोहरी समस्या का एक समाधान है। आध्यात्मिक सापेक्षवाद
अध्यात्म के क्षेत्र में कहा गया है—यदि तुम धार्मिक बनना चाहते हो, आध्यात्मिक बनना चाहते हो तो हिंसा को छोड़ो। हिंसा को छोड़ने का अर्थ है-प्रत्येक प्राणी की अपेक्षा रखो, निरपेक्ष होकर मत रहो । ऋर होकर मत चलो । जब यह सिद्धांत जीवनगत होगा तो प्रत्येक वस्तु के स्वामित्व की सीमा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org